कोरोना हाल:सुशीला तिवारी अस्पताल में घण्टो बाद भी नही बनता पर्चा डिस्चार्ज के बाद नहीं भेजा जा रहा घर क्वारंटाइन सेंटर किया जाता है रैफर

सुशीला तिवारी अस्पताल में अव्यवस्थाओं को लेकर अब भी कोई सख्त कदम जिला प्रशासन द्वारा नही उठाया जा रहा है। कल रात सुशीला तिवारी अस्पताल में ढाई घण्टों तक जमकर हंगामा हुआ क्योंकि बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजो को दस दिन के ऊपर हो जाने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया यहां तक कई मरीजो की डिस्चार्ज स्लिप पर 3 दिन होम क्वारंटाइन भी लिखा गया हंगामा तब हुआ जब मरीजो को गौलापार क्वारंटाइन सेंटर भेजा जाने लगा,इस बात से नाराज़ होकर डिस्चार्ज हुए मरीजो ने खूब हंगामा किया। हालांकि कुछ मरीज क्वारंटाइन सेंटर जाने के लिए राजी भी हो गए थे, लेकिन ज़्यादातर मरीजों का यही कहना था कि हमारे साथ नाइंसाफी की जा रही है।पहले ही अस्पताल में हमें सुविधाओं के नाम पर गंदगी मिली और ट्रीटमेंट के नाम पर सिर्फ एक कैप्सूल दिया गया। अब जब हमारे घर जाने का समय आया तब भी हमें ज़बरदस्ती क्वारंटाइन सेंटर भेजा जा रहा है।


गुरुवार को भी सुशीला तिवारी की बड़ी लापरवाही सामने आई थी, जिस पर प्रशासन द्वारा संज्ञान तो लिया गया लेकिन कार्यवाही अब तक नहीं की गई है। गुरुवार को सुशीला तिवारी अस्पताल में एक गर्भवती महिला के कोरोना पॉजिटिव होने पर उसका पर्चा बनाने में ही साढ़े सात घण्टे लगा दिए गर्भवती महिला लाचारी में खुले आसमान के नीचे पूरी रात सड़क पर ही बैठी रही लेकिन अस्पताल की ओर से महिला को कोई राहत नहीं मिली। बताया गया कि इमरजेंसी में जो डॉक्टर तैनात थे सुबह उन्होंने ये सब देखा तब उन्हें तरस आया और महिला को शुक्रवार की सुबह 7.30 बजे भर्ती किया गया। महिला का पति कोरोना नेगेटिव था उसने कहा कि मेरी पत्नी गर्भवती है और कोरोना पॉजिटिव  है, जो पर्चा न बनने की वजह से खुले आसमान के नीचे सड़क पर बैठी है। अगर इससे कोरोना औरों को फैल गया तो इसकी ज़िम्मेदारी किसकी है? 


सुशीला तिवारी अस्पताल में अव्यवस्थाओं की कहानी आये दिन सामने आती रहती है पहले जिला प्रशासन द्वारा मामला संज्ञान में नही है कहा जाता था लेकिन अब मामला संज्ञान में है कहकर कार्यवाही की बात तो जिला प्रशासन करता है पर व्यवस्थाओं को ठीक नही किया जाता।