कॉलेज तो खोल दिया,पर सुविधाएं देनी भूली सरकार

उत्तराखंड में उच्च शिक्षा की हालत लगातार बद से बदतर होती जा रही है।विगत कई वर्षों से राज्य में नए कॉलेज तो खुले हैं, लेकिन पुराने महाविद्यालय की दिशा और दशा सुधारने में सरकारें पूरी तरके से नाकाम साबित हुई हैं।उत्तराखंड गठन के बाद इन कई वर्षों में राज्य सरकार नए कॉलेजों का एलान तो कर देती है,लेकिन उसके बाद कॉलेज बिना भवन और शिक्षक के घोषणा मात्र साबित हो रही हैं, इतना ही नहीं गुणवत्ता सुधारने के प्रयास तो दूर नियमित शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर भी विराम लगा हुआ है।महाविद्यालय में तो छात्र छात्रों की बैठने की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है।

आज हम जो तस्वीरें आपको दिखाने जा रहे हैं, वो जिला ऊधम सिंह नगर के महानगर रुद्रपुर के सरदार भगत सिह राजकीय स्नाकोत्तर महाविद्यालय की है, जहाँ इतिहास बी०ए० प्रथम सेमेस्टर की कक्षा में 480 बच्चों का दाख़िला हुआ है और कक्षा में मात्र 50 बच्चों की बैठने की व्यवस्था है। जिसके चलते बच्चों को कक्षा में खड़े होकर ही पढना पढ़ रहा है।


अधिक बच्चे होने के कारण कक्षा में विद्यार्थियों को खड़े होकर टीचर के सभी लेक्चर और सभी बातों को सुनना पड़ता है अधिक भीड़ होने के चलते शिक्षक की आवाज भी बच्चों तक पूरी तरीके से नहीं पहुंच पाती है,गुरु जी के बताए हुए ज्ञान को समझने में भी बच्चों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है इतना ही नहीं कभी-कभी तो गुरु जी क्या समझा रहे हैं बच्चों के शोर में यह सुन पाना भी काफी मुश्किल हो जाता है, लगातार शिक्षा विभाग और महाविद्यालय बेहतर शिक्षा देने की बात तो कहते हैं मगर आज तक वह बेहतर शिक्षा धरातल पर नजर नहीं आ रही है।


छात्र नेताओं की मानें तो उन्होंने इस समस्या को लेकर महाविद्यालय और संबंधित मंत्री व बड़े नेताओं से इस समस्या के बारे में कई बार बात करने की कोशिश की मगर शिवाय आश्वासन और झूठे वादों के छात्रों को कुछ हासिल नहीं हुआ लगातार छात्रों को इन हालातों में महाविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करनी पड़ रही है कई आंदोलनों के बाद भी ऐसी समस्या से उनको निजात नहीं मिल पाई है

प्रदेश में उच्च शिक्षा की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. हालात इतने खराब हैं कि कई कॉलेजों में छात्र संख्या प्राथमिक विद्यालयों जैसी है. इसके बावजूद लगातार नए कॉलेज राज्य सरकार खोल रही है.प्रदेश में कुल 94 डिग्री कॉलेज संचालित हो रहे हैं और मात्र 44 कॉलेज ऐसे हैं जिनके पास अपने भवन हैं. आंकड़े चौकाने वाले ही नहीं अचंभित भी करते हैं कि आखिर उच्च शिक्षा किस दिशा में जा रही है।