कुमाऊँ मण्डल के सरकारी स्कूलों में कुमाऊँनी भाषा में तैयार पुस्तकों से होगी पढ़ाई।

एटीआई निदेशक राजीव रौतेला ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिह रावत की प्रेरणा से कुमाऊं मण्डल की सभी जिलोें के प्राथमिक विद्यालयों मे कुमाऊंनी भाषा मे तैयार की गई पुस्तकेें छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराई जायेगी ताकि बच्चो का लगाव सभी कुमाऊंनी भाषा के प्रति उत्पन्न हो सके। उन्होने कहा कि शीर्षक ‘‘धगुलि, हंसुलि, छुबकि एवं झुमकि’’ से यह कुमाऊंनी भाषा की पुस्तकेें तैयार की गई है।जिनका विमोचन मुख्यमंत्री द्वारा किया जायेगा।
उन्होने बताया कि कुमाऊं मण्डल मे लगभग 20 हजार पुस्तकें भेजी जायेंगी। प्रथम चरण में 10 हजार 500 किताबें भेजी जा रही है।यह किताबें जनपद नैनीताल के विकास खण्ड भीमताल, जनपद अल्मोडा के विकास खण्ड हवालबाग, जनपद बागेश्वर के विकास खण्ड बागेश्वर, पिथौरागढ के विकास खण्ड बिण, जनपद चम्पावत के विकास खण्ड चम्पावत तथा उधमसिह नगर के विकास खण्ड रूद्रपुर के सभी सरकारी विद्यालयों मे यह पुस्तकें विमोचन के बाद उपलब्ध करा दी जायेंगी।
किसी भी प्रान्त में बोली जाने वाली बोलियों एवं भाषायें अपनापन लिये होती हैं, इसी प्रकार उत्तराखण्ड की कुमाऊंनी एवं गढवाली भाषायें हमें आध्यात्म के साथ ही आपस में भी जोडती है।भाषायें एवं बोलियां राष्ट्रीय एकता की भी प्रतीक हैं। उत्तराखण्ड की भाषाओं में सहजता एवं प्राकृतिक सौन्दर्य का बोध होता है।
राजीव रौतेला ने बताया कि बदलते दौर मे जहां इस आधुनिकतम की दौड में शामिल होने जा रहे हैं वहा इस उत्तराखण्ड की पारम्परिक, कुमाऊंनी, गढवाली भाषा एवं बोलियों से दूर होते जा रहे है। यहां तक कि हमारे बच्चे इन भाषाओं को बोलने मे हिचकते हैं और अपने को इन भाषाओं को बोलने मे असमर्थ भी पाते है। इन भाषाओ को लेकर आज की युवा पीढी मे अज्ञानता है।