उत्तराखण्ड हाईकोर्ट का सरकार को आदेश 21 साल से कम उम्र के लोगों को न दें शराब।

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड को शराब मुक्त बनाने के लिए राज्य सरकार को 6 महीने के भीतर शराब नीति बनाने के आदेश दिए हैं,साथ ही मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने प्रदेश की सभी शराब की दुकानों और बाजारों में आईपी युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं,वहीं कोर्ट ने 21 साल से कम उम्र के लोगों को शराब ना देने के भी आदेश दिए हैं।कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि आबकारी नीति के तहत शराब का प्रयोग कम करने का प्रावधान है, लेकिन राज्य सरकार उत्तराखंड में नई-नई शराब की दुकानें खोल रही है,जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
आपको बता दें कि गरुड़ निवासी अधिवक्ता डी.के.जोशी ने जनहित याचिका दायर कर प्रदेश में शराब के बढ़ रहे प्रचलन और लोगों की मौत समेत हो रही बीमारियों को देख कर जनहित याचिका दायर की,जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में आबकारी अधिनियम 1910 लागू है,जिसका पालन नहीं हो रहा है।और जगह-जगह सार्वजनिक स्थानों,स्कूल,मंदिरों के आस-पास शराब की दुकान खुली हुई है।वहीं शराब की वजह से पहाड़ी क्षेत्रों में दुर्घटनाएं भी बढ़ रही और कई परिवार बर्बाद हो गए हैं,लिहाजा शराब पर पूर्ण रूप से रोक लगनी चाहिए याचिकाकर्ता ने शराब से हुई राजस्व आय को समाज कल्याण में लगाने की भी मांग की है,याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार शराब बिक्री से दो प्रतिशत लेती है,जिसे शराब से हुए नुकसान के मामलों में ही खर्च किया जाना चाहिए।
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति एन.एस.धनिक की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद राज्य सरकार को 6 महीने के भीतर शराब नीति बनाने के आदेश दिए हैं,साथ ही मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने प्रदेश की सभी शराब की दुकानों और बाजारों में आईपी युक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं,वहीं कोर्ट ने 21 साल से कम उम्र के लोगों को शराब ना देने के भी आदेश दिए हैं।