उत्तराखण्ड में शराब फैक्ट्रियों को सब्सिड़ी मामला पहुंचा हाईकोर्ट

उत्तराखण्ड में शराब फैक्ट्रियों को सब्सिड़ी देने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है।अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार,आबकारी विभाग,राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और शराब कंपनियों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।देहरादून मालदेवता निवासी नंद किशोर द्वारा दायर जनहित याचिका पर उत्तराखण्ड हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सोमवार को सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि सरकार प्रदेश में शराब को बढ़ावा देने के लिए शराब फैक्ट्रियों को मात्र पांच करोड़ निवेश करने पर करीब 50 करोड़ सब्सिड़ी दे रही है,जो आबकारी अधिनियम 2015 के विपरीत है।सरकार शराब को बढ़ावा देने के लिए 2016 से 2019 तक आबकारी नीति में संशोधन करती रही है।याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार सब्सिड़ी के अलावा इन कंपनियों को अन्य लाभ भी दे रही है।याचिकाकर्ता का कहना है कि शराब फैक्ट्रियों के लिए सरकार दो सौ करोड़ की सब्सिड़ी दे रही है।फैक्ट्री लगाने के लिए सरकार कैपिटल इन्वेस्टमेंट व्यापार में छूट के साथ ही स्टांम्प ड्यूटी,बिजली के साथ ही 75 फीसद आबकारी देयकों में भी छूट दे रही है।
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि सरकार प्रदेश में शराब को बढ़ावा देने के लिए शराब फैक्ट्रियों को मात्र पांच करोड़ निवेश करने पर करीब 50 करोड़ सब्सिड़ी दे रही है,जो आबकारी अधिनियम 2015 के विपरीत है।सरकार शराब को बढ़ावा देने के लिए 2016 से 2019 तक आबकारी नीति में संशोधन करती रही है।याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार सब्सिड़ी के अलावा इन कंपनियों को अन्य लाभ भी दे रही है।याचिकाकर्ता का कहना है कि शराब फैक्ट्रियों के लिए सरकार दो सौ करोड़ की सब्सिड़ी दे रही है।फैक्ट्री लगाने के लिए सरकार कैपिटल इन्वेस्टमेंट व्यापार में छूट के साथ ही स्टांम्प ड्यूटी,बिजली के साथ ही 75 फीसद आबकारी देयकों में भी छूट दे रही है।