उत्तराखण्ड की आधी आबादी को कितनी मिली सियासी हिस्सेदारी

लोकतंत्र के यज्ञ में ंमतदान की आहुति देने में भले ही महिलाएं हमेशा आगे रही हों,लेकिन जब भी सियासत के मोर्चे से लोकतंत्र के मंदिर तक पहुंचने की बारी आई, देवी कही जाने वाली महिलाओं से किनारा कर लिया गया। उत्तराखंड राज्य गठन से पहले और इसके बाद लोकसभा वह विधानसभा में महिलाओं को उनका आधा अधिकार भी नहीं मिल पाया।
आजादी मिलने के बाद वर्ष 1952 में जब देश का पहला लोकसभा चुनाव हुआ तो उत्तराखंड की टिहरी लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कमलेंदुमतिशाह संसद पहुंची।इस सीट पर भाजपा ने वर्ष 2012 के उपचुनाव में माला राज्य लक्ष्मी शाह को टिकट दिया तो जनता ने उन्हें भी अपना प्रतिनिधि चुना।वर्ष 2014 में माला राज्य लक्ष्मी शाह भाजपा के टिकट पर दोबारा सांसद चुनी गई,लेकिन इस सीट के अंतर्गत आने वाले14 विधानसभा क्षेत्रों से आज तक एक भी महिला विधानसभा नहीं पहुंची राजनीतिक दलों ने भी महिलाओं को विधानसभा का टिकट देने में हमेशा कंजूसी बरती।
जबकि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण मिलने के बाद महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही है।2019 लोकसभा के चुनाव में उत्तराखंड की 5 सीटों पर सिर्फ 6 महिला प्रत्याशी मैदान में हैं, इनमे राष्ट्रीय दल की एकमात्र प्रत्याशी हैं।पौड़ी गढ़वाल व नैनीताल सीट पर एक भी महिला ने नामांकन नहीं करवाया जबकि हरिद्वार सीट पर सिर्फ एक ही महिला मैदान में है।उत्तऱाखण्ड से अब तक केवल चार महिलाएं ही संसद पहुंच पायी हैं-
1952 के आम चुनाव में टिहरी सीट से कमलेंदुमतिशाह।
1998 के आम चुनाव में नैनीताल सीट से इला पंत।
2012 के उपचुनाव में टिहरी सीट से मालाराज्यलक्ष्मीशाह।
2014 के आमचुनाव में टिहरी सीट से मालाराज्यलक्ष्मीशाह।
2014 में मनोरमा डोबरियाल शर्मा उत्तराखण्ड से राज्यसभा के लिए चुनी जाने वाली पहली महिला सांसद बनी।
उत्तराखण्ड में ये महिलाएं बनी विधायक
2017 मुन्नी देवी,ममता राकेश,ऋतु खंडूरी,मीना गंगोला,रेखा आर्य,डा. इंदिरा ह्रयदेश।
2012 डा. इंदिरा ह्रयदेश,अमृता रावत,शैलारानी रावत,विजय बडथ्वाल,सरिता आर्य,रेखा आर्य व ममता राकेश।
2007 विजय बड़थ्वाल,डा. इंदिरा ह्रयदेश,अमृता रावत,आशा नौटियाल,बीना महराना।
2002 डा. इंदिरा ह्रयदेश,विजय बड़थ्वाल,आशा नौटियाल,अमृता रावत,बीना महराना।