उत्तराखंड : जांबाज़ फौजी और माउंट एवरेस्ट पर फतेह हासिल करने वाले यमुना पनेरू हुए शहीद

उत्तराखंड का एक और लाल आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गया,पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ उठी है।सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी शहीद की मौत पर दुख प्रकट किया है।उत्तराखंड के एक और लाल ने मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया, शहीद का नाम यमुना पनेरू था,जो उत्तराखंड की कुमाऊँ रेजिमेंट में तैनात थे।यमुना प्रसाद 2002 में सेना में भर्ती हुए थे। इसके बाद से वो सेना के साहसिक कार्यक्रमों का हिस्सा रहे। साल 2012 में वो दौर भी आया जब यमुना प्रसाद ने साबित किया कि वो एक जबरदस्त पर्वतारोही भी हैं। 2012 में उन्होंने माउंट एवरेस्ट चोटी को फतह करने का रिकॉर्ड अपने नाम किया था। इसके लिए उन्हेंं उनकी टीम के साथ सम्मानित भी किया गया था।
आपको बता दें कि भारतीय सेना बीते एक हफ्ते में 10 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतार चुकी है लेकिन भारत के लिए भी इसी बीच जम्मू-कश्मीर से एक बेहद दुखद खबर आई जिसमे बताया गया कि भारत का वीर सपूत भी अपने देश के लिए कुर्बान हो गया। बीते गुरुवार की देर रात मिली जवान की शहादत की खबर से जहां परिवार में कोहराम मचा हुआ है वहीं पूरे क्षेत्र में भी शोक की लहर है, यमुना की शहीद होने की खबर से ही परिजनों की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे है।
मूलरूप से ओखलकांडा के पदमपुर मीडार निवासी यमुना प्रसाद पनेरू देर रात कुपवाड़ा में अपनी टीम का रेस्क्यू करने के लिए बर्फ से ढकी चोटियों पर थे जहाँ आतंकी मुठभेड़ में उनकी शहादत हो गयी।बड़े भाई की मौत के सदमे में छोटे भाई भुवन पनेरू का कहना है कि, साल 2001 में युमना कुमाऊं में भारत की रक्षा के लिए भर्ती हुए थे, यमुना ने अपने जीवन के इस सफर में साल 2012 में एवरेस्ट फतह कर अपने नाम नया कीर्तिमान रचा था नंदादेवी शिखर और छोटे कैलाश पर जाकर भी नमन किया था,साथ ही दार्जिलिंग में भी माउंटेनिंग सिखाने के लिए गए थे और सेना की तरफ साल 2013-14 में भूटान गए थे। यमुना जब भूटान से निकले तो हवलदार से सुबेदार पद पर नियुक्त हुए थे इससे परिवार काफी खुश था।
इतनी सारी उपल्बधियां हासिल करने के बाद यमुना पनेरू ने 37 साल की उम्र भारत मां की रक्षा करते हुए प्राण न्योछावर कर दिए, यमुना अपने पीछे 7 साल का बेटे यश और 5 साल की बेटी साक्षी, पत्नी, मां महेश्वरी देवी, भाई चंद्र प्रकाश पनेरू भुवन और भाभी समेत लाडले भतीजे- भतीजी सबको रोता हुए छोड़ गए है।पत्नी काफी समय से पति के घर आने का इंतजार कर रही थी लेकिन, जब शहीद होने की खबर मिली तो उसका रो-रोकर बुरा हाल हो चुका है. वहीं बच्चे पिता की राह देख रहे हैं. जवान के शहीद होने से पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया है,वर्तमान में शहीद का परिवार हल्द्वानी के अर्जुनपुर गोरापड़ाव में रहता है।