इंदरा अम्मा कैंटीन में पहाड़ी उत्पाद परोसने वाली महिलायें हुई बेरोजगार

उत्तराखंड में कांग्रेस कार्यकाल के दौरान पूर्व मुख्यमन्त्री हरीश रावत द्वारा शुरू की गयी इंदरा अम्मा कैंटीन योजना पर वर्तमान सरकार के निर्देशो पर ताले लटकने लगे हैं जिससे कई महिला समूह बेरोजगार हो चले हैं क्या है मामला रिपोर्ट देखिये।

पहाड़ी क्षेत्र के उत्पादक को बढ़ावा देने और पहाड़ों में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के मकसद से राज्य की पूर्व कांग्रेस सरकार ने साल 2015 में उत्तराखंड के हर जिलो में सस्ते दामो में जनता को भोजन उपलब्ध कराने के मकसद से  इंदरा अम्मा भोजनालय को खोलकर एक अनोखी पहल शुरू की थी जिसका सीधा फायदा उन महिलाओ को मिल रहा था जो पिछले लम्बे समय से ही पारम्परिक उत्पादक मंडवा झंगोरा और दाल सब्जी की खेती कर पारम्परिक उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए जी तोड मेहनत कर रही थी इन्ही महिला समूह को कांग्रेस कार्यकाल में इंदरा अम्मा कैंटीन संचालन का जिम्मा सौपा गया जिससे इनकी आर्थिकी भी बेहतर होने लगी थी लेकिन आज सरकार के निर्देशो के बाद इस कैंटीन पर ताले जड़कर महिलाओ को बेरोजगार कर दिया गया है जिससे महिला काफी निराश हैं जो की अब महिला सक्तिकरण जैसे मुद्दों पर भी सीधे सीधे सवाल उठा रही हैं हर जिले में बन्द हो रही इंदरा अम्मा कैंटीन से कई महिलाये व अन्य स्टाफ अब बेरोजगार हो जायेंगे जिनके आगे आर्थिकी का बड़ा संकट मंडरा रहा है कांग्रेस कार्यकाल में पहाड़ी भोजन को 25 रुपए प्रति थाली की दर पर जनता को उपलब्ध करवाया जा रहा था जिसमे सरकार 10 रुपये प्रति थाली पर महिलाओ की मेहतन को सब्सीडी के तौर पर इन्हें देती थी लेकिन बीजेपी सरकार आने के बाद महिलाओ को मिलने वाली 10 रुपए प्रति थाली सब्सीडी की दर को बन्द कर दिया गया जिस पर मजबूरन महिलाओ को अपनी आर्थिकी चलाने के लिए 25 रूपये की जगह 35 रूपये प्रति थाली के रेट पर पहाड़ी उत्पाद परोसे जाने लगे लेकिन अब कैंटीन पर ही सरकार के निर्देशो पर ताले जड़ आज बन्द कर दिया गया बताया जा रहा है की वर्तमान बीजेपी सरकार नए सिरे से कैंटीन को दोबारा खोलेगी और हर तीन साल नये लोगो को कैंटीन सन्चालन का जिम्मा देगी वहीँ आज कैंटीन से हटाकर बेरोजगार हुई महिलाओ की माने तो जिस समय इंदरा अम्मा भोजनालय आरंभ किया गया था तब इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई थी जिसका जिक्र अब कर उन्हें बेरोजगार कर दिया गया। वहीँ मुख्य विकास अधिकारी पौड़ी का कहना है कि शासन के आदेशों का पालन किया जा रहा है, अब नए सिरे से केंटीन के संचालन की प्रक्रिया की जायेगी,

जहां एक और प्रदेश की सरकार पलायन को रोकने और रोजगार देने की बात करती है वहीं सरकार पहाड़ी क्षेत्रों में जीवन यापन करने वाले महिलाओं से रोजगार छिन कर अपने दूसरा ही रूप भी बयां कर रही है, अगर यूं ही चलता रहा तो धीरे-धीरे रोजगार न मिलने के कारण पहाड़ी क्षेत्र के सभी गांव वीराना हो जाएंगे।

REPORTER-ALOK RAWAT PAURI MOB-9897760969