आज़ादी के 74 साल बाद भी जातिवाद को नही मिल सकी आज़ादी महिला ने पड़ोसी की जातिसूचक शब्दों से की बेइज़्ज़ती

भारत की आजादी को 74 साल हो चुके है लेकिन आज भी भारत मे जातिवाद को आज़ादी नही मिल पाई है।घृणित मानसिकता का एक उदाहरण नैनीताल जिले में देखने को मिला है जिसकी वीडियो भी सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है,जो कि हल्द्वानी के बिन्दुखत्ता  का बताया जा रहा है,वीडियो में एक महिला अपने पड़ोसी से चीख चिल्ला कर लड़ती हुई नजर आ रही है,और अपने पड़ोसी को वहां से हरिजन और आर्या बोलकर अपने बगल के प्लाट से निकल जाने के लिए बोल रही है ,मिली जानकारी के मुताबिक महिला के बगल में एक व्यक्ति ने 35 लाख में प्लाट खरीदा था जिस पर वो अब मकान बनाने की सोच रहा है लेकिन एक महिला अपने घर के आंगन से चीखती चिल्लाती उसे हरिजन और आर्या बोलकर अपमानित कर रही है और कह रही है कि कोई भी हरिजन या आर्या पंडितों के बीच मे जमीन नही खरीद सकता।ज़मीन का मालिक उसको समझा भी रहा है लेकिन वो नही बार बार उन्हें उस प्लाट को किसी पंडित को बेचकर उस इलाके से चले जाने को बोल रही है ।इस पूरे मामले की वीडियो बना रहे व्यक्ति पर भी वो महिला पत्थर से हमला करती दिखाई दे रही है ।सोशल मीडिया में वायरल हो रही इस वीडियो के बाद लोगो मे महिला को लेकर खासा रोष व्याप्त हो गया है और लोग सोशल मीडिया पर इस महिला के खिलाफ सख़्त से सख़्त कार्यवाही करने की मांग भी करने लगे हैं।

आपको बता दें कि अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के लिए हरिजन शब्द को लिखने बोलने पर न्यायालय ने प्रतिबंध किया है। भारत सरकार के सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय शास्त्री भवन नई दिल्ली द्वारा जारी एक पत्र के अनुसार आधिकारिक रूप से अनुसूचित जातियों के संबंध में हरिजन शब्द के उपयोग पर पाबंदी के निर्देश भी दिए गए है।सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने तर्क दिया है कि 10 फरवरी, 1982 को गृह मंत्रालय ने राज्यों को दिये निर्देश में कहा था कि अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करते समय संबंधित पत्र में ‘हरिजन’ शब्द हर्गिज ना लिखा जाए। साथ ही राष्ट्रपति के आदेश के तहत ‘अनुसूचित जाति’ के रूप में उनकी पहचान का उल्लेख करने को कहा था। 18 अगस्त 1990 में मंत्रालय ने राज्य सरकारों से शेड्यूल्ड कास्ट (एससी) के अनुवाद के रूप में  में ‘अनुसूचित जाति’ उपयोग करने का अनुरोध किया था।


 हरिजन शब्द के प्रतिबंध को लेकर कानून तो बन गया है। परन्तु कानून का पालन कराने वाले कानून के रखवाले ही इस शब्द का उपयोग कर रहे हैं। राशन कार्ड, एफआईआर, आधार कार्ड, परिचय पत्र, डाक पत्र आदि पर जाति व स्थान की जगह हरिजन मोहल्ला, बस्ती लिखा जा रहा है।आर्टिकल 14 जो भारत के हर नागरिक को समानता का अधिकार देता है वो भी कहीं लागू होता दिखाई नही देता,लोग आज भी जाति के नाम पर भेदभाव करते है।