अरुण जेटली की ज़िंदगी की वो बाते जो आपने पहले कभी नही सुनी होंगी।

"राजनीति पार्ट टाइम ड्यूटी नहीं है" ये कहना था भारत के पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का,इसलिए शायद जब वह वकालत में रहे तो पूरी तरह उस पेशे के साथ उन्होंने न्याय किया और जब राजनीति में अहम पदों पर रहे, तो उन पदों के साथ भी पूरा न्याय किया।अरुण जेटली भारत के प्रसिद्ध अधिवक्ता एवं राजनेता रहे है, राजग के शासन में केन्द्रीय न्याय मन्त्री के साथ-साथ कई बड़े पदों पर भी वो आसीन थे।अरुण जेटली जैसे दिग्गज नेता का इस दुनिया से चले जाना पूरे देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है,लेकिन क्या आप राजनीतिक ज़िन्दगी के अलावा भी अरुण जेटली के बारे में कुछ जानते है?आइये आज अरुण जेटली की ज़िंदगी के कुछ राज आज हमको बताते है ।

अरुण जेटली के व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उनका जन्म महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर में हुआ था। उनके पिता भी एक वकील थे। उन्होंने अपनी विद्यालयी शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, नई दिल्ली से पूरी की और 1973 में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से कॉमर्स में स्नातक की डिग्री ली। उन्होंने 1977 में दिल्ली विश्‍वविद्यालय के विधि संकाय से विधि की डिग्री हासिल की थी। छात्र के रूप में उन्होंने अकादमिक और पाठ्यक्रम के अतिरिक्त गतिविधियों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। अरुण जेटली 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संगठन के अध्यक्ष भी रहे। अरुण जेटली ने 24 मई 1982 को संगीता जेटली से विवाह किया और उनके दो बच्चे- पुत्र रोहन और पुत्री सोनाली हैं।


कहते है दान तो वही होता है जो गुप्त होता है सबको दिखा कर दिया तो क्या दिया।अरुण जेटली अपने परिवार और देश की जिम्मेदारियां निभाना बखूबी जानते थे सबका भला हो यही उनकी हमेशा कोशिश रहती थी।अपने साथ काम करने वाले स्टाफ को भी जेटली अपना परिवार ही मानते थे और स्टाफ के साथ उनका नाता परिवारिक हो भी क्यो न? आखिर अरुण जेटली के पूरे परिवार और उनका ध्यान भी तो यही कर्मचारी ही रखते थे।अरुण जेटली ने अपने कर्मचारियों के साथ बिना भेद भाव उनके बच्चों को भी उसी स्कूल में पढ़ने भजते थे जिस स्कूल में अरुण जेटली के बच्चे पढ़ा करते थे ताकि कर्मचारियों के बच्चों का भविष्य भी बेहतर हो सके,इतना ही नही अगर किसी कर्मचारी का बच्चा काबिल हो और उच्च शिक्षा के लिए विदेश में पड़ना चाहता हो तो अरुण जेटली पीछे नही हटते थे ।अरुण जेटली के ड्राइवर जगन और सहायको सहित करीब 10 कर्मचारी ऐसे है जो पिछले 3 दशकों से अरुण जेटली के परिवार से जुड़े है।जिनमे से 3 परिवारों के बच्चों को अरुण जेटली ने विदेश पढ़ने भेजा ।जेटली के घर की देखभाल और खाने की पूरी व्यवस्था संभालने वाले जोगेंद्र की दो बेटियों में से एक लंदन में पढ़ रही है । अरुण जेटली के साये कहे जाने वाले उनके सहयोगी गोपाल भंडारी का एक बेटा डॉक्टर तो दूसरा इंजीनियर बन चुका है।अरुण जेटली ने 2005 में अपने एक सहायक ओपी शर्मा के बेटे चेतन को लॉ की पढ़ाई के समय 6666 नंबर की एसेंट कार भी गिफ्ट में दी थी।

अरुण जेटली का स्वास्थ्य पिछले कुछ समय से खराब चल रहा था और इस वर्ष जब लोकसभा चुनावों से पहले फरवरी में मोदी सरकार ने अंतरिम बजट पेश किया था तब अरुण जेटली की जगह कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट प्रस्तुत किया था। खराब स्वास्थ्य के कारण ही जेटली ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा और मोदी सरकार-2 में शामिल भी नहीं हुए थे। पिछले साल 14 मई को एम्स में अरुण जेटली के गुर्दे का प्रतिरोपण हुआ था।