कौन सुनेगा ये दर्दः रोड ना होने से बुजुर्ग की गई जान! समय पर अस्पताल न पहुंच पाने से रास्ते में तोड़ा दम, लोग बोले- ये कैसा आदर्श जिला?

 Who will listen to this pain: An old man died due to lack of roads! He died on the way due to not being able to reach the hospital on time, people said- what kind of ideal district is this?

चंपावत। आदर्श जिला चंपावत स्थित गांव में रोड ना होने का खामियाजा बुजुर्ग को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। मामला चंपावत जिले के पाटी ब्लॉक के सीमांत खेरकुड़ा का है, जहां रमक के ग्राम पंचायत प्रशासक मंगल जोशी के पिता त्रिलोक चंद्र जोशी की अचानक तबियत बिगड़ गई। ग्रामीणों ने बुजुर्ग को खेरकूड़ा तोक से लगभग 10 किलोमीटर उबड़-खाबड़ रास्ते से डोली के सहारे रमक तक पहुंचाया, जिसमें ग्रामीणों को 4 घंटे से अधिक का समय लग गया, जिस कारण बुजुर्ग की तबीयत बिगड़ने लगी। रमक से वाहन के जरिए चंपावत जिला अस्पताल ले जाने के दौरान बुजुर्ग ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। क्षेत्र के ग्रामीण भुवन चंद्र, नीलांबर अटवाल, नरेश चंद्र, परमानंद, गिरीश जोशी, पानदेव जोशी, मंगल जोशी आदि ने कहा कि अगर आज उनके गांव तक सड़क होती तो समय रहते वह लोग मरीज को अस्पताल पहुंचा पाते और समय पर इलाज मिलने से उनकी जान बच जाती। लोगों ने कहा कि आजादी के 76 वर्ष बीत जाने के बावजूद उनके गांव में आज तक सड़क नहीं पहुंची। उन लोगों द्वारा कई बार सड़क की मांग शासन प्रशासन से की गई, पर किसी के द्वारा भी उनकी कोई सुध नहीं ली गई। रोड ना होने का खामियाजा वह लोग आए दिन भुगत रहे हैं। कहा कि गांव की गर्भवती महिलाओं, मरीजो को उन्हें खतरनाक रास्तों से दस किलोमीटर डोली के सहारे रोड तक पहुंचाना पड़ता है। सड़क की कमी के चलते गांव से बड़ी संख्या में पलायन हो चुका है। ग्रामीणों ने कहा कि यह मुख्यमंत्री का कैसा आदर्श चंपावत है, जहां सड़क के अभाव में मरीज अपनी जान गंवा रहे हैं और सरकार सोई हुई है। ग्रामीणों ने कहा कि अगर जिले को आदर्श बनाना है तो पहले सरकार गांवों का विकास करें और गांव से पलायन को रोकें। मामले को लेकर ग्रामीणों में काफी नाराजगी है। ग्रामीणों का कहना है कि आज भी आदर्श जिला चंपावत में कई गांव व तोक ऐसे हैं, जहां ग्रामीण सड़क के लिए संघर्ष करते नजर आ रहे हैं।