उत्तराखण्ड: सहकारिता समिति के चुनाव का मामला! कोर्ट ने माना चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद लागू नहीं किए जा सकते हैं नए नियम

Uttarakhand: Matter of Cooperative Committee elections! Court accepted that new rules cannot be implemented after the election schedule is announced.

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में हो रहे सहकारी समितियों के चुनाव के मामले पर सुनवाई की। इस मामले को आज एकलपीठ के आदेश के खिलाफ सरकार ने विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दी। मामले की सुनवाई के बाद विस्तृत जजमेंट के साथ विशेष याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने यह माना है कि चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद नए नियम लागू नहीं किए जा सकते हैं और पूर्व के नियम के अनुसार ही चुनाव कराए जा सकते हैं।
 बता दें कि 21 फरवरी 2025 को  एकलपीठ के आदेश को विशेष अपील के माध्यम से सोसाइटी की तरफ से खण्डपीठ में चुनौती दी गई। जिसमें कहा गया कि कॉपरेटिव के चुनाव कराने हेतु राज्य सरकार ने इसमें कुछ संसोधन किया है। उसे भी  लागू किया जाय। इसपर आपत्ति व्यक्त करते हुए आरटीआई एक्टिविस्ट भुवन पोखरिया व कई अन्य याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि कॉपरेटिव के चुनाव पूर्व के नियमों के तहत ही कराए जाय।  जबकि पूरा चुनाव कार्यक्रम घोषित हो चुका है। वोटर लिस्ट बन चुकी है और चुनाव अधिकारी नियुक्त हो चुके हैं। अब सरकार इस लिस्ट में उन लोगों को शामिल कराना चाह रही है जो कभी किसान थे ही नही। इसकी सदस्यता ग्रहण करने के लिए कम से  तीन साल का समय दिया होना चाहिए। जिसको इसका अनुभव नही वह इसका सदस्य कैसे बन सकता है।  चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद जो संसोधन सरकार ने किया है वह नियम विरुद्ध है। इसमें उन लोगों को वोट देने का अधिकार दिया गया जो इस क्षेत्र से ताल्लुख नही रखते हैं। सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने एकलपीठ के आदेश को बरकरार रखा है। याचिका खारिज कर दी गई है।