उत्तराखण्डः नदियों और पर्यावरण के संरक्षण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई! हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों पर मुकदमा दर्ज करने के दिए आदेश

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून में जल धाराओं, जल स्रोत्रों, पर्यावरण संरक्षण सहित नदियों पर मंडरा रहे खतरे व पर्यावरण संरक्षण को लेकर दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए कोर्ट की खण्डपीठ ने इनको संरक्षित कराने हेतु राज्य सरकार को दिशा निर्देश जारी किए हैं। पूर्व के आदेश पर आज राज्य सरकार के प्रमुख वन सचिव आरके सुधांशु, सचिव शहरी विकास नितेश झा और राजस्व विभाग के सचिव आर राजेश पांडे कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए। सचिव वन ने कोर्ट को अवगत कराया कि अभी तक पूर्व के आदेशों का किन्ही कारणों से अनुपालन नही हो सका। इसलिए कोर्ट के पूर्व के आदेशों का अनुपालन कराने हेतु सम्बंधित विभागों को चार सप्ताह का समय दिया जाय। क्योंकि अभी वित्तीय साल का अंतिम सप्ताह चल रहा है। जिसपर कोर्ट ने उन्हें तीन सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने के साथ-साथ स्वयं भी वीसी के माध्यम से कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने सरकार से कहा है कि नदी, नालों व गधेरों में जहां-जहां अतिक्रमण हुआ है उसे हटाया जाए। कोर्ट ने डीजीपी महोदय से कहा है कि वे सम्बंधित एसएचओ को आदेश जारी करें, कि जहां-जहां ऐसी घटनाएं होती है उन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने सचिव शहरी विकास से भी कहा कि वे प्रदेश के नागरिकों में एक संदेश प्रकाशित करें कि नदी नालों व गधेरों में अतिक्रमण, मलुआ व अवैध खनन ना करें जिसकी वजह से मानसून सीजन में उन्हें किसी तरह की दुर्घटना न हो। इसका व्यापक प्रचार प्रसार करें। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 15 अप्रैल की तिथि नियत की है। बता दें कि देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल व उर्मिला थापर ने उच्च न्यायालय में अलग-अलग जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून में सहस्त्रधारा में जलमग्न भूमि में भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं जिससे जल स्रोतों के सूखने के साथ ही पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है। जबकि दूसरी याचिका में कहा गया है कि ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांग पर बेइंतहा अतिक्रमण और अवैध निर्माण किया गया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि देहरादून में 100 एकड़, विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़, डोईवाला में 15 एकड़ करीब नदियों की भूमि पर अतिक्रमण किया है। खासकर बिंदाल व रिष्पना नदी पर।