जज्बे को सलामः हल्द्वानी के महेन्द्र ने चाय में खोजा रोजगार का जरिया! सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर बने आत्म निर्भर, प्रेरित करती है एमबीए पास महेन्द्र की कहानी?

Salute to the spirit: Mahendra of Haldwani found a source of employment in tea! Become self-dependent by taking advantage of government schemes, MBA pass Mahendra's story inspires?

हल्द्वानी। कहते हैं कोई भी काम अगर मेहनत और शिद्दत से करो तो उसमें सफलता जरूर मिलती है। कुछ ऐसा ही कर दिया फूलचौढ़, देवलचौड़ निवासी महेंद्र ने। महेन्द्र सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर न केवल आत्म निर्भर बने, बल्कि लोगों को रोजगार दिलाया। आज हर कोई उनकी सफलता की सराहना कर रहा है। दरअसल महेन्द्र पहले बैंकिंग के क्षेत्र में काम करते थे। लेकिन शुरू से ही स्वयं का उद्यम करने की बात उनके मन में चलती रहती थी। उनका कहना है कि उन्होंने मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) की उच्च शिक्षा हासिल की है। इसके बाद चार साल तक बैकिंग सेक्टर में काम किया। लेकिन उनके मन में हमेशा था कि स्वयं का कारोबार किया जाए, जिससे कि अन्य लोगों को भी रोजगार दिया जा सके। उनका कहना है कि कभी यह तय नहीं हो पाता था कि स्वयं का कारोबार तो कर लिया जाए लेकिन काम कौन सा किया जाए, जिसे उत्साह और जूनून के साथ किया जा सके। एक दिन निर्णय ले ही लिया कि अपना ही कारोबार स्थपित किया जाए। इसके बाद उन्होंने चाय पैंकिंग का कारोबार करने की सोची। जिसके लिए उन्होंने जिला उद्योग केन्द्र की ओर रूख कर विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों को अवगत कराया। जानकारी मिली कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत चाय पैकिंग यूनिट स्थापना के लिए सब्सिडी पर लोन मिल सकता है। इस पर उन्होंने मशीन और अन्य आवश्यक सामान खरीदने के लिए योजना के तहत आवेदन कर दिया और ठंडी सड़क स्थित आध्रा बैंक से उन्हें 10 लाख रूपये का लोन स्वीकृत हो गया। महेन्द्र बताते हैं कि लोन की धनराशि और कुछ स्वयं के सहयोग से चाय पैकिंग उद्यम की स्थापना कर काम शुरू कर दिया गया। हल्द्वानी के अलावा कुमाऊं के कई शहरों और गांवों तक उनकी गोल्डन चाय की सप्लाई होती है। कहते हैं कि चार साल से उनका कारोबार अच्छा चल रहा है। उनका कहना है सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएं संचालित की जा रही है। उन्होंने सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर आत्मनिर्भर और अन्य लोगों को रोजगार से जोड़ने की बात कही।