मेरे गांव की बाटः उत्तराखण्ड की पहली जौनसारी फिल्म ने मचाई धूम! सिनेमाघरों में लगातार उमड़ रही भीड़, संस्कृति, विरासत और परंपराओं का मेल देख गदगद हुए दर्शक

Mere Gaon Ki Baat: Uttarakhand's first Jaunsari film created a stir! The audience was thrilled to see the ever-increasing crowd in the theaters and the amalgamation of culture, heritage and tradition

देहरादून। उत्तराखंड की पहली जौनसारी फिल्म ‘मेरे गांव की बाट’ थियेटरों में धूम मचा रही है। बीती 2 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फिल्म का प्रोमो और पोस्टर लॉन्च किया और 5 दिसंबर को ये फिल्म देहरादून के सेन्ट्रियों माल में लांच हुई, जिसके बाद अभी तक सभी शो हाउस फुल चल रहे हैं। 1983 में रिलीज पहली गढ़वाली फिल्म ‘जग्वाल’ और 1987 में रिलीज कुमाऊनी फिल्म ‘मेघा आ’ के बाद ‘मेरे गांव की बाट’ उत्तराखंड की तीसरी और पहली जौनसारी फिल्म है। अनुज जोशी के निर्देशन में बनी ‘मेरे गांव की बाट’ फिल्म की परिकल्पना सूचना विभाग उत्तराखंड के संयुक्त निदेशक के एस चौहान की है। मुख्यमंत्री धामी ने फिल्म में जान डाल देने वाले अभिनेता अभिनव चौहान को बधाई देते हुए कहा कि इस फिल्म से दुनिया को जौनसार की संस्कृति, विरासत और रीति रिवाजों को जानने का मौका मिलेगा। राज्य सरकार की तरफ से क्षेत्रीय बोली भाषाओं में बनी फिल्मों के निर्माण और प्रचार-प्रसार के लिए मदद की जा रही है। बता दें कि अभिनेता अभिनव चौहान ने इससे पहले गढ़वाली फिल्म ‘असगार’ में भी मुख्य किरदार निभाया था और फिल्म सुपरहिट रही थी। 

देहरादून के बाद हरिद्वार में भी मची धूम
‘मेरे गाँव की बाट’ देहरादून के बाद अब हरिद्वार के पेंटागन माल में धूम मचा रही है थियेटर में पहुंचने वाले दर्शक फिल्म देखकर जहां रोमांचित हो रहे है वहीं दूसरी तरफ एमोशनल भी। फिल्म में उत्तराखंड के रीति रिवाजों और संयुक्त परिवार की अवधारणा और नारी सम्मान को प्रदर्शित किया गया है। फ़िल्म की परिकल्पना केएस चौहान की हैं जबकि निर्माता आयुष गोयल और अभिनव चौहान हैं। फ़िल्म का निर्देशन सुप्रसिद्ध निर्देशक अनुज जोशी ने किया है। और फिल्म की मुख्य भूमिका अभिनव चौहान ने निभाई है।

संस्कृति, विरासत और परंपराओं को देख गदगद हुए दर्शक
उत्तराखंड की पहली जौनसारी फीचर फिल्म ‘मैरै गांव की बाट’ में जौनसार की संस्कृति, विरासत और यहां की परम्पराओं को दिखाया गया है। यूं तो जौनसार क्षेत्र की अनूठी परम्पराएं और रीति-रिवाज लोगों को आकर्षित करते हैं, जिसके चलते लोग यहां की संस्कृति देखना चाहते हैं लेकिन चकाचौंध से दूर यहां के लोग सादगी में जीवन जीना चाहते हैं। इस फिल्म में वैसे तो कई बेहतरीन सीन हैं लेकिन एक सीन दर्शकों को बहुत पसंद आ रहा है, जिसमें शादी समारोह, बारात और दूल्हा-दुल्हन दिखाए गए हैं। इसमें दिलचस्प बात ये है कि दूल्हा बारात नहीं लाता है बल्कि दुल्हन बारात लेकर आती हैं। यह अनूठी संस्कृति जौनसार में सदियों से चली आ रही है, जिस पर बेहतरीन फिल्मांकन किया गया है। फिल्म की शूटिंग जौनसार बावर के फटेऊ, इच्छला, झुसो, भाकरो गांवों में की गई। इसके अलावा जौनसार के खास पर्व ‘बारिया का जाग’ को भी इसमें दिखाया गया है।