विकासनगर के बस्तीवासियों को हाईकोर्ट ने दी राहत

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून में जल धाराओं,जल स्रोत्रों,पर्यावरण संरक्षण सहित नदियों में मंडरा रहे खतरे व पर्यावरण संरक्षण को लेकर दायर अलग अलग जनहित याचिकाओं पर स्पेशल अपील इंटरप्रिटेशन एप्लीकेशन व्याख्या आवेदन में वर्चुअल माध्यम से सुनवाई की गई। जिसमें कोर्ट में फिलहाल विकास नगर स्थित कुछ बस्तियां जिन्हें तीन दिन के भीतर तोड़ने के निर्देश पर फिलहाल सुनवाई अवसर तक रोक लगा दी गई है। साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट रूप से महाधिवक्ता से पूछा कि वह रसूखदार जिनको सरकार चिन्हित कर अतिक्रमणकारी मान चुकी है,उनपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की है, इसका जवाब भी सरकार 15 अप्रैल को दे। मामले की सुनवाई के लिए 15 अप्रैल की तिथि नियत की है।
विकास नगर की कुछ बस्तियों में रहने वाले लोगों ने एक इंटरप्रिटेशन एप्लीकेशन व्याख्या आवेदन दाखिल किया गया इसमें कहा गया है कि कुछ बस्तियों को केवल 3 दिन का नोटिस जारी कर तोड़ने के निर्देश दिए गए हैं जबकि वहीं दूसरी तरफ कुछ रसूखदार लोगों के द्वारा नदी में पुल आदि बनाए गए हैं और जिसकी पुष्टि शासन की आख्या रिपोर्ट में हो चुकी है। पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। आपकों बता दे कि देहरादून निवासी अजय नारायण शर्मा, रेनू पाल व उर्मिला थापर ने उच्च न्यायालय में अलग अलग जनहित याचिका दायर कर कहा है कि देहरादून में सहस्त्रधारा में जलमग्न भूमि में भारी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं जिससे जल स्रोतों के सूखने के साथ ही पर्यावरण को खतरा पैदा हो रहा है। जबकि दूसरी याचिका में कहा गया है कि ऋषिकेश में नालों, खालों और ढांग पर बेइंतहां अतिक्रमण और अवैध निर्माण किया गया। याचिका में यह भी कहा गया है कि देहरादून में 100 एकड़,विकासनगर में 140 एकड़, ऋषिकेश में 15 एकड़, डोईवाला में 15 एकड़ करीब नदियों की भूमि पर अतिक्रमण किया है। खासकर बिंदाल व रिष्पना नदी पर।