चंपावतः मुख्य शिक्षा अधिकारी मेहरबान सिंह बिष्ट की मेहरबानी! चार दिन में ही बदला आदेश, उठ रहे सवाल

चंपावत। उत्तराखण्ड में शिक्षा व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठते आए हैं फिर चाहे निजी स्कूलों की मनमानी हो या फिर सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की उदासीनता। आए दिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं जो अपने आप में कई सवाल खड़े करते हैं। ऐसा ही कुछ मामला चंपावत जिले से सामने आया है, यहां मुख्य शिक्षा अधिकारी ने चार दिन के अंदर दो आदेश जारी किए, जिसमें पहले आदेश में शिक्षकों को मूल तैनाती पर जाने को कहा गया, जबकि चार दिन के बाद ही दूसरे आदेश में कई शिक्षकों को फिर से संबद्ध कर दिया गया। दरअसल विगत 1 अप्रैल 2025 को मुख्य शिक्षा अधिकारी मेहरबान सिंह बिष्ट ने कार्मिकों के संबद्धीकरण निरस्त को लेकर एक आदेश जारी किया था। जिसमें करीब 31 कर्मियों की संबद्धता समाप्त करते हुए उन्हें तत्काल अपने मूल विद्यालयों में योगदान देने का आदेश दिया गया था।
लेकिन हैरानी की बात ये है कि मुख्य शिक्षा अधिकारी मेहरबान सिंह बिष्ट द्वारा 4 दिन बाद 4 अप्रैल 2025 को एक और आदेश जारी किया गया, जिसमें कार्य की अधिकता का हवाला देते हुए कई अध्यापकों/कार्मिकों को संबद्ध कर दिया गया। इसमें 16 कर्मियों को संबद्ध किया गया। हांलाकि इस आदेश में कहा गया है कि महानिदेशालय स्तर से अनुमोदन प्राप्त न होने की दशा में बिना किसी पूर्व सूचना के कार्योजन आदेश निरस्त कर दिया जायेगा तथा कार्मिकों को अपने मूल कार्यालय विद्यालय में योगदान देना होगा।
अब यहां सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही कि मुख्य शिक्षा अधिकारी को 4 दिन में ही अपना आदेश बदलना पड़ा, जबकि इन दोनों आदेशों में कई कर्मियों के नाम ऐसे हैं जो दोहराए गए हैं।
इधर सूत्रों की मानें तो जनपद में शिक्षा विभाग में कार्यरत कई कर्मी दुर्गम में तैनात होने के बावजूद सुगम की सुविधाएं ले रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों से सांठगांठ कर कई ऐसे शिक्षक जिनकी मूल तैनाती दुर्गम में है, लेकिन वह सुगम में सेवाएं देते हैं और कागजों मंे अपनी तैनाती दुर्गम में ही दर्शाते हैं। फिलहाल मामले को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शिक्षा महकमा इसपर क्या एक्शन लेता है।