1 नहीं 2 नहीं पूरे 50 लाख की ब्लैकमेलिंग का लगाया गया आरोप

महंत इन्द्रेश हॉस्पिटल जो कि प्रदेश मे एक जाना माना नाम है और कई वर्षो से स्वास्थ्य के क्षेत्र मे अपनी सेवाए दे रहा है ,महंत इन्द्रेश हॉस्पिटल के अनुसार  30 अप्रैल को व्हाट्स एप पर एक विडियो वायरल होता है जो तहलका न्यूज़ चैनल के द्वारा बनाया गया एक प्रोमो है, जिसमें  महंत इन्द्रेश हॉस्पिटल के बायो वेस्ट की डंपिंग से  होने वाले जान माल के नुकसान पर आगाह किया जा रहा है और किसी खुलासे का जिक्र किया जा रहा है ,अस्पताल प्रबंधन के अनुसार तहलका न्यूज़ चैनल के कुछ लोग जिनमें चैनल स्वामी अनुज अग्रवाल ,संवाददाता विक्रम श्रीवास्तव और केमरामेन चैनल की आई डी लेकर प्रबंधन समिति के पास आते है और कूड़ा निस्तारण की विधि पूछते है और फिर 50 लाख की मांग करते है और मांग पूरी न करने पर इन्द्रेश अस्पताल और महंत देवेन्द्र दास की छवि बिगाड़ने और परिणाम भुगतने की धमकी  देते है ,जिस पर अस्पताल प्रबंधन तीनो  पर पटेल नगर थाने में भा द स 1860 के तहत धारा 384 का नामजद मुकदमा दर्ज करवा चुका है I

अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि  अनुज अग्रवाल और विक्रम श्रीवास्तव का आपराधिक इतिहास रहा है और इन पर  पहले से ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मुकदमें भी दर्ज है I

महंत इन्द्रेश अस्पताल एक जाना माना नाम है लेकिन अक्सर अस्पताल अपनी लापरवाही के चलते विवादों से घिरा रहता है ,सूत्रों के अनुसार  महंत देवेन्द्र दास के ऊपर मेडिकल काउंसिलिंग ऑफ़ इंडिया से सांठ गाँठ और आपराधिक षड्यंत्र कर मेडिकल संस्थान की मान्यता लेने का आरोप लगा था जिस पर 17 जून  2010 में सी बी आई द्वारा  इंस्टिट्यूट में छापा मारकर मान्यता और प्रवेश सम्बन्धी दस्तावेज़ अपने कब्जे में ले लिए गए  थे और जांच एजेंसी द्वारा 28 अक्टूबर 2010 को महंत देवेन्द्र दास पर मुकदमा भी दर्ज किया था, जिस पर डेढ़ साल जांच के बाद महंत देवेन्द्र दास और अन्य 8 लोगो पर चार्जशीट भी दाखिल की गयी थी बाद में सभी को जमानत दे दी गयी थी I

अक्सर न्यूज़ चैनल वाले खबर की टी आर पी बढ़ाने के लिए पहले उसका प्रोमो चलवाते है और 2 से 3 दिन बाद मुख्य खबर को दिखाते है ताकि अधिक से अधिक टी आर  पी बटोरी जा सके और खबर को महत्वपूर्ण या सनसनीखेज बनाया जा सके ,लेकिन कई बार देखने में आता है कि कई दिन प्रोमो चलता है लेकिन उसकी खबर नहीं चल पाती या फिर एक से दो एपिसोड पर ही खबर ख़त्म हो जाती है ,वजह जो भी हो मीडिया कर्मियों पर लगातार इल्जाम लगते आये है जिनमें कुछ सच भी होते है और कई झूठ I

अगर अस्पताल प्रशासन का आरोप सही पाया जाता है तो वास्तव में चौथे स्तम्भ के लिए यह सोचनीय प्रश्न होगा कि इस तरह के कुकृत्य को कैसे रोका जाये और मीडिया के पेशे मे ईमानदारी ,कर्तव्यनिष्ठा ,त्याग की भावना कैसे पैदा की जाये ?

वही दूसरी तरफ अगर मीडिया कर्मियों के पास वास्तव में कोई ऐसी खबर है जिससे अस्पताल प्रशासन भयभीत है या कही उसकी कोई चोरी पकड़ी गयी है तो मीडिया का दायित्व है कि बिना किसी दबाव के उसे समाज के सामने लाया जा सके ताकि जो अस्पताल छात्रों और मरीजों की जान से खिलवाड़ करते है और अपने रसूख का इस्तेमाल करके खबर को दबाने की चेष्टा करते है इनका भांडा फोड़ किया जा सकें I