स्कूल बैग अब नहीं बनेगा बोझ

सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए,प्रदेश में सरकारी व निजी सभी स्कूलों के लिए कक्षा एक से लेकर दसवीं तक बस्ते का बोझ तय किया है।कक्षा एक और दो में बस्ते का भार ड़ेढ़ किलो और तीन से पांचवी तक तीन किलो से ज्यादा नहीं होगा।साथ ही कक्षा एक व दो में कोई होमवर्क नहीं दिया जाएगा।इस व्यवस्था के लागू होने से प्रदेश में अब बचपन पर न तो बस्ते की मार पड़ेगी और न ही होमवर्क का जरुरी दबाव।इस व्यवस्था को सख्ती से लागू कराने के लिए सरकार ने प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को सचल दल गठित कर स्कूलों के मुआयने के निर्देश दिए हैं,उक्त आदेश का पालन नहीं करने वाले स्कूलों का पंजीकरण निरस्त करने को भी कहा है।

दलअसल बचपन को भारी-भरकम बस्ते से निजात दिलाने की पैरवी लंबे अरसे से की जा रही है,इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने 19 मई,2018 को आदेश दिए थे,इसके बाद केन्द्रीय मानव संसाधऩ विकास मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर अमल करने को कहा गया था। अब उत्तराखण्ड सरकार ने भी उक्त आदेश पर अमल करते हुए विद्यालयी शिक्षा सचिव ने आदेश जारी किए हैं। आदेश में बस्ते के बोझ के साथ ही प्राथमिक कक्षाओं के लिए गृह कार्य की नई व्यवस्था तय की गई है।कक्षा एक से कक्षा दो तक के बच्चों को कोई गृह कार्य नहीं दिया जायेगा।कक्षा तीन से आगे कक्षाओं में प्रति सप्ताह दो घंटे का गृह कार्य ही दिया जाएगा इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों को गृह कार्य नहीं दिया जायेगा।कक्षा एक से दो में भाषा एवं गणित तथा कक्षा तीन से पांचवी में भाषा,गणित एवं पर्यावरण विज्ञान से इतर विषय नहीं पढ़ाया जायेगा। विद्यालयों में सीबीएसई की ओर से लागू एनसीईआरटी की पुस्तकें ही उपयोग में लाई जाएंगी।

सरकार ने आदेश तो जारी कर दिए हैं,लेकिन अब यह देखना होगा की क्या निजी स्कूल इस  आदेश का पालन करेंगे,या एक बार फिर सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखाएंगे।