सरकारी अस्पतालों में नही है रेबीज के इंजेक्शन ,डॉक्टर देते है बहार से लाने की सलाह

उत्तराखण्ड राज्य की अस्थायी राजधानी देहरादून जहां सरकार से लेकर शासन तक मौजूद है। सडको पर न सिर्फ सूबे के मुखिया बल्कि शासन के आला अधिकारी भी दिन में कई चक्कर लगाते हैं। इतना ही नही नगर निगम के मेयर भी दून की सडको से होकर ही अपने गंतव्य तक जाते हैं। लेकिन कमाल की बात तो यह है कि किसी को भी सडको पर मौजूद आवारा कुत्तो का जमघट दिखायी नहीं दे रहा। सरकार, शासन व निगम के स्तर पर आवारा कुत्तों पर लगाम कसने के लिए कोई कार्यवाही न करना आम जन पर भारी गूजर रहा है। शहर में कुत्तो का आंतक इतना बढ गया है कि रात तो दूर दिन में सडको पर आवागमन करने से भी भय लगने लगा है। पता नही चलता कब कहां से शिकार की तलाश में बैठा कुत्ता झपट ले। कुत्ता काटने से होने वाली रैबीज की बीमारी काफी खतरनाक मानी गयी है। कुत्ता काटने के बाद यह बीमारी उम्र के किसी भी पडाव में उभर सकती है। बीमारी बढने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकती है। कुत्ते के काटने से होने वाली बीमारी चाहे कितनी बढी हो लेकिन स्वास्थ्य महकमा इससे लापरवाह बना हुआ है। जिसका सबसे बडा उदाहरण दून राजकीय मेडिकल कालेज व कोरोनेशन अस्पताल  में देखने को मिला। कहने को तो सरकार ने दून चिकित्सालय को राजकीय मेडिकल कालेज में तब्दील कर दिया लेकिन यह मेडिकल कालेज भगवान भरोसे चल रहा है। मेडिकल कालेज में रैबीज के इंजेक्शन तक मौजूद नही है। ओर कोरोनेशन हॉस्पिटल में है तो वहाँ के डॉक्टर इंजेक्शन बहार से लाने की सलाह देते है जब डॉक्टर से इस बाबत कहा जाता है तो डॉक्टर अभद्रता पर उतारू हो जाते है कोरोनेशन हॉस्पिटल के आपातकालीन कक्ष में तैनात चिकित्सको ने आज एक पत्रकार को दो टुक शब्दो में कह दिया कि चिकित्सालय में रैबीज के इंजेक्शन नही है। ओर वो बहार से ले आये तो हम लगा देंगे जब इसका विरोध पत्रकार ने जताया तो डॉक्टर अभद्रता पर उतर आया हुआ यूं कि  9 मई की रात को  पत्रकार के लड़के को गली के कुत्ते ने काट लिया था जिस पर 10 मैं की सुबह पत्रकार बच्चे को लेकर दून मेडिकल लेकर पहुच तो वह रेबीज का इंजेक्शन न होने के कारण कोरोनेशन पहुचा जहा उस दिन तो इंजेक्शन लगा दिया लेकिन डॉक्टर ने 12 मई को अगले इंजेक्शन लगाने को कहा जिस पर पत्रकार 12 मई रविवार को हॉस्पिटल आपातकालीन में पहुच जहा डॉक्टर ऋषभ तोमर ने रविवार का बहाना बताकर इंजेक्शन बहार से लाने को कहा जिस पर पत्रकार ने असमर्थता जताई ओर सी एम एस से बात करने को कहा तो जिस पर डॉक्टर ऋषभ तोमर आग बबूला हो गए ओर कहने लगे कि जो उखाड़ सकते हो उखाड़ लो जिस पर पत्रकार ने डॉक्टर से कहा कि आप तमीज से बात करे सोचने वाली बात यह है कि जब रविवार को इंजेक्शन नही मिलते है तो क्यो मरीज को रविवार का समय दिया जाता है साथ ही जिस मेडिकल कालेज में रैबीज का इंजेक्शन तक नही है वहां गंभीर बीमार व्यक्तियो को क्इयया इलाज मिल रहा होगा इसका स्वयं अंदाजा लगाया जा सकता है। दून की सडको में आवारा कुत्तो का आंतक भी दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है। पिछले कई सालो से कुत्तो की आबादी पर नियंत्रण के लिए कोई उपाय नहीं किया जा रहा है इस वजह से कुत्तो की संख्या हर साल हजारो में बढ रही है। यदि अनुमान लगाया जाए तो शहर में कुत्तो की संख्या एक लाख से ऊपर है। कुत्तो की आबादी को नियंत्रित करने का जिम्मा नगर निगम के पास है। लेकिन निगम इस मामले में कुछ भी नही कर पा रहा है। जानकार बताते हैं कि यदि कुत्तो की नसबंदी कर दी जाए तो इनकी संख्या मंे नियंत्रण पाया जा सकता है लेकिन निगम यह भी  नही कर पा रहा है। कुत्तो की नसबंदी के लिए नगर निगम ने पीपुल्स फॉर एनिमल से करार करने की कोशिश की थी लेकिन संस्था ने प्रत्येक कुत्ते के हिसाब से भुगतान की मांग कर दी तो निगम पीछे हट गया। इसके बाद निगम किसी अन्य संगठन या संस्था से करार नही कर पाया। वही नगर निगम के पास इतने संसाधन नही है कि वह कुत्तो की संख्या को नियंत्रित करने का कारगर उपाय कर पाता।