राज्य सरकार ने गुरुवार तक रिपोर्ट पेश नही की तो चलेगी अवमानना की कार्यवाही:हाई कोर्ट

आज नैनीताल उच्च न्यायाल ने, सामजिक कार्यकर्ता एवं हाई कोर्ट अभिवक्ता, अभिजय नेगी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य में कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध अधिनियम 2016 के अंतर्गत राज्य सरकार एवं शहरी स्थानीय निकायों द्वारा किया जा रहा असन्तोश्जनक काम का जायज़ा लिया। गौरतलब है कि उत्तराखंड में इस अधिनियम में स्पष्ट प्रावधान हैं कि थूकना और कूड़ा फैलाने के फलस्वरूप 5000 रुपये तक का जुर्माना, रोजना हो रहे कूड़ा फेंकने की गतिविधियों पर 500 रुपये तक का जुर्माना एवं थूकने पर भी इसी तरह की कार्यवाही का बखान किया गया है और जेल जाने तक का भी प्रावधान किया गया है। जब देहरादून में पर्यावरण संरक्षण पर काम कर रहे युवाओं के संगठन मैड सांस्था द्वारा इस बात को सूचना के अधिकार के माध्यम से पूछा गया कि 2016 से 2019 तक इस अधिनियम के तहत कितने चालान हुए, तो मैड के सदस्य आदर्श त्रिपाठी को जवाब आया कि उत्तराखंड के 100 शहरी स्थानीय निकायों में से केवल 9 स्थानीय निकायों ने इन तीन वर्षों मे 50,000 रुपये से ज़्यादा की चालान धनराशि इकट्ठा करी और 39 तो ऐसे शहरी स्थानीय निकाय निकले जिन्होने शून्य चालान किए थे और शून्य धनराशि इकट्ठा करी थी। 


आज के कोरोना संक्रमण के दौर में जहाँ ऐसी गंभीर बीमारी थूकने से फैलती है, इस पर माननीय उच्च न्यायालय का ध्यान आकर्षित करते हुए, याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार को दिशा निर्देश जारी करने की प्रार्थना की जिससे इस अधिनियम के तहत कार्यवाही की जा सके। मामले को गंभीरता से लेते हुए पूर्व में  माननीय उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार के 2 सचिवों, स्वस्थ सचिव एवं शहरी विकास सचिव से 26 मई तक एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा था जिसमे उनके द्वारा इस अधिनियम के प्रचार प्रसार एवं कार्यवाही के सम्बंध मे माननीय उच्च न्यायालय को अवगत कराने का कार्य करना था। 


आज जब मामला सुनवाई पर आया तो राज्य आकर की ओर से कोई रिपोर्ट नही पेश की गई, जिससे नाराज़ होकर हाई कोर्ट ने कहा है की अगर राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार तक दोनों सचिवों की रिपोर्ट नही पेश की तो उन्हें अवमानना की कार्यवाही भी झेलनी पड़ सकती है।