मानवीय दुर्व्यवहार से कल्याणी नदी का वास्तविक अस्तित्व ख़तरे में

 मानवीय दुर्व्यवहार से कल्याणी नदी अपनी शीतलता, स्वच्छता वास्तविकता और निर्मलता खो चुकी है | आज कल्याणी नदी पूर्ण रूप से बीमार हो चुकी है | गंदगी और दुर्गंध से ग्रसित कल्याणी नदी कराह रही है | सिडकुल के मानवीय दुर्व्यवहार से कल्याणी नदी अपनी शीतलता, स्वच्छता वास्तविकता और निर्मलता खो चुकी है, रुद्रपुर नगर निगम से निकलने वाले दूषित जल व कचरा ढोने पर मजबूर कल्याणी नदी अपने ऊपर हो रहे अत्याचार से मुक्ति पाने के लिए शासन-प्रशासन की तरफ टकटकी लगाए हुए देख रही है | क्या हमने सच में कल्याणी नदी को अपने स्वार्थ के लिए कुचल दिया है ? या कचरा और गंदगी ढोने का मार्ग बना लिया है | क्या जीवनदायिनी कल्याणी नदी स्वयं के जीवन के लिए हम सबको पुकार रही है ? स्वार्थ के विकास में कहीं प्रकृति का विनाश तो नहीं हो रहा है ?







                     मरती नदी का नाम है कल्याणी


कल्याणी, एक मरती नदी का नाम है। जी हां, यह सच है। तराई का शहर रुद्रपुर जहां औद्योगिक व आर्थिक विकास के मामले में दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की कर रहा है, वहीं इस शहर से गुजरने वाली नदी पर अतिक्रमण ने इसके अस्तित्व पर संकट पैदा कर दिया है।

ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण तथा अवैध कब्जों की समस्या नई नहीं है। बरसों से हो रहे अतिक्रमण ने पूरी सरकारी जमीन लील ली है। सिडकुल की स्थापना तथा उद्योगों के यहां आने के बाद तो प्रशासनिक अनदेखी से अवैध कब्जों तथा अतिक्रमण का दौर ही चल पड़ा। जिसका जहां मन आया, जमीन घेर ली या उस पर झोपड़ी डाल दी। यहां तो अधिकांश लोगों के लिए यह धंधा बन गया है। प्रशासन भी ऐसे लोगों के आगे बेबस है। वजह है वोट की राजनीति। प्रशासन ने जब भी कोई कदम उठाया तो नेता आड़े आ गए। नीचे से ऊपर तक के मोबाइल या फोन घनघनाते लगे। गरीबों को उजाड़ने या सरकार की किरकिरी कराने का हवाला देकर प्रशासन के पैरों में बेड़ियां डालने की कोई कसर नहीं छोड़ी गई। कांग्रेस, भाजपा के साथ अन्य राजनीतिक दल, सबका एक जैसा हाल है। अवैध कब्जेदारों तथा अतिक्रमणकारियों ने सरकारी तथा आवंटित भूमि पर तो कब्जा किया ही, अब कल्याणी नदी भी इसकी चपेट में आ गई है। कुछ वर्षो पूर्व कल्याणी नदी शहर की शान हुआ करती थी। लोग पूजा-पाठ के लिए उसके तट पर पहुंचते थे। रेता निकालने का काम भी खूब होता था। उसमें प्रवाह भी वर्षभर होता था। मगर पर्यावरण असंतुलन के कारण यह भी अन्य नदियों की तरह सिमट गई और नदी के बजाय नाले में बदल गई। सिडकुल में उद्योगों की स्थापना तथा उससे निकलने वाले रसायनिक पदार्थो ने इसे गंदे व प्रदूषित नाले में बदल दिया। आज हालात यह है कि शहर का अधिकांश कूड़ा-कचरा तथा गंदगी इसी में गिराई जाती है। यह आज पॉलीथिन, गंदगी तथा रसायन से पटी हुई है।



कूड़े-कचरे तथा रसायन से इस पर संकट के बादल मंडरा ही रहे थे कि अब अवैध कब्जों व अतिक्रमण ने इसके अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर दिया है। वजह, इसके समूचे क्षेत्र में अवैध कब्जे उग आए है। और तो और इसकी धारा के ऊपर भी पिलर खड़ा कर भवन बनाए जा रहे है। यह प्रक्रिया अटरिया मंदिर रोड जगतपुरा से लेकर रवींद्रनगर व भूतबंगला तक प्रारंभ हो चुकी है। यानि, नदी के ऊपर मकान। जब नदी की धारा के ऊपर पिलर बनाकर पक्के मकान बनाए जाएंगे तो नदी का पानी कहा जाएगा, यह कोई नहीं सोच रहा है।


वर्षा के दिनों में इसका जो रौद्र रूप देखने को मिलता है उसका क्या होगा। निश्चित है कि इसकी धारा पर खड़े किए गए भवन धराशायी होंगे तो हादसे तो होंगे ही। शासन-प्रशासन के लिए भी मुसीबत खड़ी होगी। इसे प्रशासनिक अनदेखी कहे या नेतागिरी, नदी का क्षेत्रफल तो सिमट ही गया है। अब नदी पर भी भवन बनने से इसके अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है। धारा पर भी पक्के निर्माण होंगे तो इसका प्रवाह कहां जाएगा। इस प्रश्न की तरफ लोग आंखें मूंदे हुए है।



               कल्याणी नदी के किनारे बने हैं 2000 मकान


रुद्रपुर। जलप्रलय में सैकड़ों लोगों की जान चली गई और कई परिवार तबाह हो गए। सबसे ज्यादा नुकसान नदी के किनारे बसे लोगों और निर्माण को हुआ। बावजूद इसके प्रशासन और अपने शहर के लोगों ने सबक नहीं लिया। यहां कल्याणी नदी के किनारे निर्माण जारी है जबकि नदी से सौ मीटर के दायरे में निर्माण नहीं किया जा सकता है। प्रशासन की लापरवाही के चलते इस मानक का पालन नहीं हो रहा है।



रुद्रपुर में कल्याणी नदी बहती है। यह टांडा, पंतनगर, सिडकुल क्षेत्र से होकर जगतपुरा, ट्रांजिट कैंप, भूतबंगला, रंपुरा से रामपुर रोड से होते हुए आगे को निकलती है। नदी के आसपास सैकड़ों मकान बने हैं और नये निर्माण भी जारी हैं। तेज बारिश में यह नदी उफान पर रहती है और इसके आसपास बने घर भी जलमग्न हो जाते हैं। नदी से बचने के लिए लोगों को रिश्तेदारों और स्कूलों में शरण लेनी पड़ती है। 


जगतपुरा से रामपुर रोड तक नदी का प्रवाह करीब तीन किमी क्षेत्र में है। नदी के किनारे लगभग दो हजार मकान बने हुए हैं। नियमानुसार नदी के समीप आवास नहीं बनाए जा सकते हैं लेकिन जिला प्रशासन की मिलीभगत से कल्याणी नदी के किनारे भवन खड़े हो गए। अभी मकानों का निर्माण जारी है। कल्याणी नदी उफान पर आई तो करीब 20  हजार  से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे।