महिलाओं के लापता होने के मामले में नैनीताल दूसरे स्थान पर।
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महिलाओं की सुरक्षा और उनके हितों को लेकर सरकार लाख दावे करें, लेकिन सारे दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं,क्योंकि बीते 6 सालों में उत्तराखंड के कुमाऊं के 6 जिलों से करीब 707 महिलाएं लापता हो चुकी हैं जिनकी अब तक कोई भी सूचना नहीं मिल पायी है।महिलाओं के लापता होने के मामले मे उधम सिंह नगर पहले और नैनीताल दूसरे नम्बर में है।महिलाओं की सुरक्षा के लिये महिला तथा बाल विकास विभाग की स्थापना वर्ष 1985 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अंग के रूप में की गई थी।इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं तथा बच्चों के समग्र विकास को बढ़ावा देना था। 30 जनवरी 2006 से इस विभाग को मंत्रालय का दर्जा दे दिया गया है।लेकिन आज जो महिलाओं के लापता होने के आंकड़े सामने आयें हैं, वो आंकड़े महिला विकास विभाग हो या पुलिस विभाग, सब पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं, कि आखिर महिलाओं की सुरक्षा खतरे में क्यों है? और जो महिलायें लापता हुई उनका पता अब तक क्यों नहीं लगाया जा सका।
उत्तराखंड मे लापता हो रही महिलाओं और युवतियों की गुत्थि को सुलझाने मे अब तक केवल इक्का-दुक्का मामलों में ही पुलिस को सफलता हाथ लगी है,बाकि लापता हुई महिलाओं के बारे में ना तो पुलिस को कुछ पता है और ना ही इनके घर वालों को।
अगर आंकड़ों की बात करें तो 2013 मे नैनीताल से 26 ,अल्मोड़ा से 13,पिथौरागढ से 5,बागेश्वर से 10,चम्पावत से 1और
उधम सिंह नगर से61महिलाएं लापता होने की शिकायत अब तक दर्ज की गयी है।
सन् 2014 में नैनीताल से 17,अल्मोड़ा में 11,पिथौरागढ से 12, बागेश्वर से 1,चम्पावत से 3 और ,उधम सिंह नगर से 72 महिलाएं लापता पायी गयी हैं।
2015 में नैनीताल से 23,अल्मोड़ा से 1,पिथौरागढ से 2,बागेश्वर से 1,चम्पावत से 0 और ,उधम सिंह नगर से 113 महिलाएं लापता हुई।
2016 में नैनीताल से 21,अल्मोड़ा से 0,पिथौरागढ से 2,बागेश्वर से 0,चम्पावत से 0और उधम सिंह नगर से 98 महिलाएं लापता हुई।
2017 में नैनीताल से 11,अल्मोड़ा से 0,पिथौरागढ मे 4,बागेश्वर मे 0,चम्पावत मे 3 और उधम सिंह नगर मे 77 महिलाएं अब तक लापता हैं। 2018 में नैनीताल से 23,अल्मोड़ा से 0,पिथौरागढ से 3,बागेश्वर से 0,चम्पावत से 1और उधम सिंह नगर से 92 महिलाएं लापता होने की सूचना है।
क्या लापता हुई महिलायें मानव तस्करी का शिकार हुई होंगी ये भी अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है।
लापता हुई इन महिलाओं के ये वो आकड़े हैं जो केवल जनरल पुलिस के पास दर्ज हैं,कई मामले तो पुलिस के पास दर्ज तक नही होते हैं, जो आंकड़े दर्ज नहीं है उनका अनुमान लगाना भी मुश्किल है कि वो आंकड़े कितने ज्यादा होंगे।
कुमाऊँ के आई जी अजय जोशी का कहना है, कि लापता होने के मामले मे अभी तक कोई भी मामला अपहरण का नही है,और जो भी युवतियां और महिलाए लापता हैं उनमे से अधिकांश मामलो में महिलाओं के अपने किसी परिचित के साथ जाने का मामला प्रकाश मे आया है। पुलिस लापताओं को ढूंढने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। जो महिलायें पुलिस को मिल जाती हैं,उनको कोर्ट में पेश किया जाता है, जिसके बाद उन्हे उनके परिजनों को सौंप दिया जाता है। आज भी घरों से लापता हुई महिलाओं और युवतियों के परिजन उनके घर वापस लौटने की उम्मीद में बैठे हैं,और उनकी उम्मीद केवल मित्र पुलिस है।