नैनीताल में मची नवरात्रों की धूम
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इसी के बाद यहां मां नयना देवी के मंदिर की स्थापना यहां हुई। । पुराणों में भी लिखा है कि देवी पार्वती के पिता दक्ष-प्रजापति द्वारा जब विशाल यज्ञ में भगवान् शिव को आमंत्रण नहीं दिया गया तो इस कदम से नाराज होकर देवी पार्वती यज्ञ के हवन कुण्ड में कूदकर सती हो गई, जिससे दुखी भगवान् शिव ने देवी पार्वती का पार्थिव शरीर लेकर ब्रह्माण्ड के चक्कर लगा कर तांडव शुरू कर दिए। सृष्टि का सन्तुलन बिगड़ने से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया, तब सृष्टि के संरक्षक भगवान् विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शव के खंड खंड कर दिऐ। जिससे पार्वती की बांयी आँख देश के इसी हिस्से में गिरी और इस मंदिर का नाम नयना देवी रखा गया।मां नयना देवी के दर्शनों के लिये लोगों का हुजूम नवरात्रों में विशेषकर देखा जाता है, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ बाहर से आये पर्यटक भी शामिल होते हैं, मां नयना यहां नयन रूपी मां भगवती के रूप में विराजमान हैं, लिहाजा माना जाता है कि मां दुर्गा अपनी आंखों से हर इंसान के दुख दर्द देख लेती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं,नवरात्री में लगातार नौ दिनों तक मां नयना देवी मंदिर में भव्य पूजा अर्चना जारी रहेगी।