नैनीताल में अतिक्रमण हटाये जाने के महज़ दूसरे ही दिन बेख़ौफ़ होकर फिर सजे फड़ खोखे।

नैनीताल शहर में इन दिनों अवैध फड़ खोखा व्यवसायियों को लगता है जैसे प्रशासन का कोई डर ही नही रहा। बीते शुक्रवार को नैनीताल के मल्लीताल पंत पार्क सहित रिक्शा स्टैंड से ऊपर सनवाल स्कूल के रास्ते मे अवैध रूप से लगे फड़ खोखो की दुकानों पर जिला प्रशासन और नगर पालिका की संयुक टीम ने अभियान चलाकर अतिक्रमण को हटाया था, लेकिन आज सुबह से ही इस जगह फिर से अवैध खोखे लगने शुरू हो गए।अवैध रूप से खोखे लगाने वालों को मानो जैसे ना तो जिला प्रशासन का ही कोई डर हो ना ही पुलिस का कोई खौफ़।शाम ढलते ढलते यहां चाय, पकौड़ी,और बन्द ऑमलेट बनाने वाले फड़ खोखो से गंदगी का अंबार इस कदर फैल जाता है कि कोई बीमार न होने वाला भी इस गंदगी की चपेट में आकर बीमार पड़ जाए।खाने पीने के ये फड़ खोखे ना तो साफ सफ़ाई का ही ध्यान देते हैं ना ही पीने का साफ पानी ही यहाँ उपलब्ध होता है।भिनभिनाती मक्खियों से लबरेज इस जगह पर बनने वाले भोज्य पदार्थ भी हाइजेनिक नही होता।
आपको बता दे कि नैनीताल के वरिष्ठ नागरिक अरुण कुमार साह जो इंटेलिजेंस ब्यूरो मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स गवर्नमेंट ऑफ इंडिया में सहायक निदेशक के पद पर भी कार्यरत रह चुके हैं,उनके द्वारा नैनीताल के अवैध फड़ खोखों के अतिक्रमण को हटाए जाने की मांग पर जिला प्रशासन ने मामले को संज्ञान में लेकर शुक्रवार को करीब चार बजे सीईओ सिटी विजय थापा, एसडीएम विनोद कुमार तहसीलदार भगवान सिंह,नैनीताल नगर पालिका ईओ अशोक कुमार वर्मा के नेतृत्व में अतिक्रमण के खिलाफ संयुक्त अभियान चलाया जिसमे पंत पार्क से लेकर रिक्शा स्टैंड तक अवैध रूप से लगे फड़ खोखों का समान सहित जब्त कर लिया था ।
अतिक्रमण हटाने के बाद की तस्वीर ।
महज़ एक दिन बीतने के बाद ये जगह फिर से गंदगी के ढेर से लबरेज हो गयी है आने जाने वाले लोगों को भी खासी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है । जिला प्रशासन और पुलिस की सख्ती के बावजूद दोबारा अवैध फड़ खोखों का लगना पालिका ,और प्रशासन पर सवालिया निशान खड़े करता है कि आखिर किसकी शह पर ये अवैध अतिक्रमण किया जा रहा है।जिस रास्ते पर ऐतिहासिक इमारत फ्री मेंशन हॉल भी है वो जगह मल्लीताल का दिल कहलाता है और वही जगह सबसे ज़्यादा गंदगी से पटी हुई है।प्रशासन की नाक के नीचे बेखौफ होकर फड़ खोखों का लगना कहीं इस ओर इशारा तो नही कि अंडर द टेबल भी अक्सर साठ गांठ हो जाया करती है।