नैनीताल - कोरोना काल मे केएमवीएन को करोडों का नुकसान,सुनी पड़ी हैं केव गार्डन की गुफाएं

उत्तराखण्ड की प्राकृतिक सौंदर्यता देसी विदेशी पर्यटकों को हमेशा लुभाते रही है कहते है पहाड़ो के तो पत्थर भी सोना उगलते हैं। जी हां पहाड़ो में गुफाओं का मिलना बहुत आम बात है ,जो सरकार को भारी भरकम राजस्व का लाभ दिलवाने का काम करती हैं।नैनीताल में भी पत्थर की गुफाओं को इस्तेमाल करके कुमाऊ मंडल विकास निगम(के.एम.वी.एन.) ने पर्यटकों से बीते वर्ष करोड़ों रुपये का राजस्व कमाया है ।
सरोवर नगरी नैनीताल के ये प्राकृतिक गुफाएं जो विगत वर्षों में राज्य सरकार के लिए सोना उगलने का काम कर रहे थे,लॉक डाऊन के चलते वीरान और सुनसान पड़े है। नैनीताल के सूखाताल क्षेत्र में स्थित यही प्राकृतिक गुफाएं पर्यटकों की आवाजाही के बाद सीजन में निगम को हर माह लगभग 1 लाख 50 हजार की कमाई कराती थी। इस गुफा में बच्चों के लिए 10 रुपया व बड़ों के लिए 30 रुपया लिया जाता है इसकी अतिरिक्त कमाई में कैमरे का 25 रुपया व सुन्दर म्यूजिकल फुव्वारे का 10 रुपया है जो सीजन के दौरान पर्यटकों से गुलज़ार रहने वाली गुफाएं शांत है। कुमाऊँ मंडल ने इसमें 6 गुफाओ को तैयार किया है जिसको शेर, पेंथर, पोर्कुपाइन, फ़्लाइंग फोक्स, एप्स इत्यादि के नाम से पुकारा गया है , विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार सीजन में यहाँ हर रोज लगभग एक हजार पर्यटक इसे देखने के लिए आते थे।
जी हाँ, हम बात कर रहे है नैनीताल के केव गार्डन की, जिसे के.एम.वी.एन.के एक वरिष्ठ अधिकारी ने वर्षों पहले मॉर्निंग वॉक के दौरान खोजा था, उन्होंने इसे सीमित संसाधनों के बावजूद एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया और आज ये एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल बन चुका है। यहां पर्यटक इन प्राकृतिक गुफाओं का दीदार करने पहुंचते हैं । साल भर लाखों की संख्या में आने वाले पर्यटक इन प्राकृतिक गुफाओं के अंदर जाकर प्राचीन पत्थरों से बनी गुफाओं के अंदर प्रवेश कर इको केव की खूबसूरती को पर्यटक अपने अपने कैमरों मे सैल्फी अंदाज हो या फिर फ़ोटो ग्राफर की मदद से यादगार बनाते थे, वो आज वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते वीरान पड़े है जिससे सरकारी राजस्व को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा रहा