नवरात्रि में सिद्धपीठ ज्वाल्पा देवी मन्दिर का विशेष महत्व

चैत्र नवरात्रि के शुरुवात आज से हो गयी है ऐसे में भक्त माता की आराधना के लिए जगह जगह स्थापित माता मन्दिरो में पहुँच रहे है माता के इन्ही मन्दिरो में से एक मन्दिर माँ ज्वाल्पा का सिद्धपीठ मन्दिर भी है जो की माँ भगवती का सिद्धपीठ मन्दिर है मन्दिर का महत्व चैत्र और शीतकालीन नवरात्रि में और बढ़ जाता है|
जहां मन्दिर में माँ भगवती और इन्द्राणी की पूजा पाठ करने के लिए भक्त दूर दूर से यहाँ पहुँचते हैं विशेष पूजा पाठ के साथ ही नवरात्रि में यहाँ विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाता है, मान्यता है की माँ ज्वाल्पा के इस मन्दिर में इंद्र देव की पत्नी सचि ने इंद्र को पाने के लिए और माता भगवती को इसी जगह पर स्थापित होने के लिए वर्षो तक आराधना की थी ऐसे में माँ भगवती ने सचि की तपस्य से प्रसन्न होकर सचि की हर मनोकामना पूरी की और तब से इसी स्थान पर स्थापित हो गयी|
मन्दिर की एक और ख़ास बात ये है की यहाँ माँ की अखण्ड जोत हर समय जली रहती है यही वजह है की मन्दिर को ज्वाल्पा नाम से जाना जाता है वहीँ माँ के इस मन्दिर में नवरात्रो में सप्तमी अष्ठमी और नवमी को विशेष पूजा पाठ भी किये जाते है माना जाता है की मन्दिर में सच्चे मन से पहुँचने वाले भक्त की हर मुराद यहां आकर पूरी हो जाती है मन्दिर पश्चमी न्यार नदी पर स्थित है जहाँ हर कोई स्नान को पहुँच कर अपनी मुराद की कामना करता है जो जल्द ही पूरी होती है|