धधक रहे हैं उत्तराखंड के वन क्षेत्र

उत्तराखंड के पहाड़ इस समय डबल अटैक से जूझ रहे हैं। एक ओर चारोधामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के अलावा हेमकुंड साहिब में अत्यधिक बर्फबारी के कारण श्रद्धालुओं को ठंड का प्रकोप झेलना पड़ रहा है। तो वहीं फायर सीजन में उत्तराखंड के जंगल तेजी से धधकने लगे हैं। पहाड़ से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक कई जगहों पर जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वन महकमे को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। जंगलों में लगी आग की गर्मी की तपिश मैदानी क्षेत्रों को भी प्रभावित कर रही है। 
पिछले एक हफ्ते के दौरान उत्तराखंड में दावानल की घटनाओं में काफी तेजी आई है। कई जगह आग ने विकराल रूप धारण किया है। परेशानी वाली बात यह है कि जंगल की ये आग आग पहाड़ी क्षेत्रों में गांव की ओर बढ़ने लगी है। ग्रामीणों के सामने चारा-पत्ती का संकट भी खड़ा हो गया है और वन विभाग के सभी दावे हवाई साबित हो रहे हैं। पौड़ी, नैनीताल, उधमसिंहनगर, चमोली, रुद्रप्रयाग, चंपाव, टिहरी और उत्तरकाशी के कई क्षेत्रों में जंगलों में लगी आग परेशानी का सबब बनती जा रही है। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक फायर सीजन में 491 घटनाएं घट चुकी हैं जिसमें 676.835 हेक्टेयर जंगल तबाह हुआ है। 11.25 लाख नुकसान का अनुमान लगाया गया है।  कुमाऊं क्षेत्र के जंगल में आग अधिक तेजी से सुलग रहे हैं जहां आप की 317 घटनाएं हो चुकी हैं गढ़वाल क्षेत्र में अब तक 149 और वन्यजीव परिरक्षण क्षेत्र में 25 घटनाएं सामने आई हैं। आग से अब तक नैनीताल चमोली और उधमसिंहनगर जिलों में 11.26 हेक्टेयर क्षेत्र में किया गया पौधारोपण भी पूरी तरह से तबाह हो गया है। श्रीनगर में एसएसबी की फायरिंग रेंज के पास तक जंगल की आग पहुंच चुकी है। वहीं उत्तराखण्ड के मौसम को लेकर मौसम विभाग का कहना है की आने वाले दिनों में पहाड़ी क्षेत्रों में ओलावृष्टि और बारिश होने की संभावना है जिससे वहां पर ठंड का प्रकोप बढ़ेगा। जंगलों में लगी आग बुझाने के लिए इसे वन विभाग के लिए अच्छी खबर कह सकते हैं।फायर सीजन में उत्तराखंड के जंगलो में लगने वाली आग की घटनाएं कम से कम हो इसके लिए वन महकमा पूरी तरह से अलर्ट हो गया है। फायर सीजन के मद्देनजर विभागीय अधिकारी, कर्मचारियों की छुट्टी भी रद्द कर दी गई है। प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने बताया कि फायर सीजन को देखते हुए तकरीबन 10 हजार कर्मचारियो की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है, साथ ही ज्यादातर अधिकारियों को फील्ड में ड्युटी पर तैनात किया गया है। आम लोगों को भी वनाग्नि के प्रति जागरुक किया जा रहा है। प्रदेश में 40 स्थानों पर फोरेस्ट फायर कंट्रोल रुम बनाया गए हैं और इसके अलावा देहरादून स्थित मुख्यालय वन भवन में भी एक राज्यस्तरीय कंट्रोल रुम बनाया गया है ताकि बढ़ती आग की घटनाओं पर रोका जा सके।
उत्तराखंड में जगंल की आग एक बड़ी चुनौती बन कर सामने खड़ी है। पिछले कुछ सालों में जहां उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग ने कई रिकोर्ड तोड़े हैं तो वही जंगलों में लगी इस आग से नुकसान में भी हर साल इजाफा होता जा रहा है। इस मामले में वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. विमलेश जोशी ने स्थानीय ग्रामीणों को ऐतिहात बरतने की सलाह दी है। जिससे स्वास्थ्य से सम्बंधित दिक्कते न होने पाए। 
उत्तराखंड के जंगलो में पिछले 5 सालों में लगी आग के आंकड़े --

वर्ष 2014
वनाग्नि  के वर्ष 2014 में 515 मामले सामने आये जिसमें से तकरीबन 930.33 हेक्टेयर वन जल कर राख हो गये और 23.57 लाख का नुकसान पूरे फायर सीजन में हुआ
वर्ष 2015 
फोरेस्ट फायर की 412 घटनाएं सामने आयी और सूबे का 701.61 हेक्टेयर जंगल राख हो गया जिसमें 7.94 लाख का नुकसाल बताया गया
वर्ष 2016 वनाग्नि के 2074 मामले सामने आये और प्रदेश का 4433.75 हेक्टेयर जंगल जल कर राख हो गया जिसमें 46.50 लाख के नुकसान का आंकलन किया गया
वर्ष 2017
वनों में आग की 805 घटनाएं चिन्हित की गई थी जिसमें सूबे का 1244.64 हेक्टेयर वन राख हो गया और 18.34 लाख के नुकसान का आंकलन इस सीजन में किया गया
वर्ष 2018
उत्तराखंड के जंगलों में वनाग्नि की घटनाओं ने और तेज़ी पकड़ी है और पूरे सीजन 2150 घटनाएं सामने आयी और 4480.04 हैक्टियर जगल जल गया जिसमें 86.05 लाख के नुकसान का आंकलन किया गया। 
वर्ष 2019 अब तक
प्रदेश में दावानल की अब तक 491 घटनाएं हो चुकी हैं जिसमे 676 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान हुआ है। पौड़ी और रुद्रप्रयाग जिले में तमाम गांवों के नज़दीक जंगल धधक रहे हैं