देखिए - प्रदेश में पुलिस का असली चेहरा

प्रदेश में जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बेहतर कृषि के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार मिल रहा है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड की पुलिस व्यवस्था काफी लचर दिखाई दे रही है। उत्तराखंड पुलिस मित्र पुलिस जरुर कही जाती है लेकिन पुलिस की मित्रता जनता के लिए कहीं दिखाई नहीं देती है। पुलिस का अमानवीय चेहरा कई जगह देखने को मिलता है। दरअसल मामला कुछ इस प्रकार है कि राजधानी देहरादून के प्रेम नगर में राजकुमार नाम का व्यक्ति रहता है। उसका सन 2017 में एक पार्षद से जाति सूचक शब्दों को लेकर मामला हुआ था। उसने पुलिस में कई बार कंप्लेन की लेकिन पुलिस ने उसे चलता कर दिया। मीडिया के दबाव के बाद देहरादून पुलिस ने साल 2019 में मामले की एफ. आई. आर. दर्ज की। लेकिन अभी तक उस पार्षद की गिरफ्तारी पुलिस ने नहीं की है। जबकि मामला हाईकोर्ट में भी चल रहा है लेकिन पुलिस अभी तक अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं कर पायी है। इसी प्रकार कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे के खिलाफ भी कई मामले प्रकाश में आये लेकिन अभी तक पुलिस ने उसमें भी कोई कार्यवाही नहीं की है।क्या यहीं है उत्तराखंड की पुलिस व्यवस्था।