जब सरकारी अस्पताल ऐसा कर रहे हैं तो प्राइवेटों का क्या होगा

प्रदेश के सरकारी अस्पताल ही अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना की हवा निकालने पर तुले हैं।पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्र छोड़िए,दून में जहां सरकार विराजमान है, वहां भी अधिकारी इसे लेकर संजीदा नहीं दिखते। अब प्रदेश के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय का ही उदाहरण लीजिए।योजना को लागू हुए एक साल से अधिक का वक्त गुजर गया है,पर अस्पताल प्रबंधन अब भी उस अनुरूप व्यवस्था नहीं बना सका है।आलम ये कि अटल आयुष्मान योजना से इलाज में खामियां दिखाई पड़ रही हैं।ऐसा ही एक और मामला सामने आया।अटल आयुष्मान योजना के तहत हड्डी के ऑपरेशन ही नहीं हुए। वजह ये कि डॉक्टरों ने एन वक्त पर इम्प्लांट की क्वालिटी पर सवाल उठा दिए। ताज्जुब इस बात का है कि ये वही इम्प्लांट हैं,जो पिछले काफी वक्त से इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं।बहरहाल अस्पताल में आठ ऑपरेशन टाल दिए गए और मरीज व तीमारदारों को दिक्कत झेलनी पड़ी। खासकर दूरस्थ क्षेत्र के मरीजों के स्वजन डॉक्टरों के चक्कर पर चक्कर काटते रहे।दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में न केवल शहर बल्कि प्रदेश के दुरुह क्षेत्र से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं।इस लिहाज से अस्पताल में अन्य अस्पतालों के मुकाबले अटल आयुष्मान के कई गुना लाभार्थी इलाज कराते हैं। हाल में अस्पताल को इसके लिए सम्मानित भी किया गया है। पर असलियत कुछ और है।अस्पताल को लगा व्यवस्थागत मर्ज इन मरीजों को वक्त बेवक्त तकलीफ दे रहा है। यहां ऑपरेशन का इंतजार कर रहे आठ मरीजों को एकाएक बताया गया कि आज ऑपरेशन नहीं किए जा सकते। उन्हें आगे की तारीख दे दी गई। बताया गया कि चिकित्सकों को इम्प्लांट को लेकर कुछ आपत्ति है। दोपहर होने तक एक अलग ही वजह निकल आई। कहा गया कि इम्प्लांट की आपूर्ति समय पर नहीं की गई। इन्हें वक्त पर स्टरलाइज करना पड़ता है। ऐसा न होने पर ऑपरेशन टालने पड़े। अधिकारियों का कहना है कि सारी दिक्कत समन्वय को लेकर है। इसे लेकर चिकित्सक, स्टोर व आयुष्मान योजना से जुड़े स्टाफ की बैठक बुलाई गई है।