ग्यारह महीने से ठप पड़ी है दून अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन

सरकारी सिस्टम कछुआ गति से काम करता है। फिर चाहे मामला जन स्वास्थ्य से ही क्यों न जुड़ा हो। आम जन को दिक्कत होती है तो उनकी बला से। हम बात कर रहे हैं,दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की। जहां सीटी स्कैन मशीन ग्यारह माह से ठप पड़ी है। कॉलेज प्रशासन खरीद की प्रक्रिया चुका है, पर मामला स्वीकृति पर आकर अटक गया। कारण ये कि शासन इसे पीपीपी मोड पर चलाने को आतुर है। स्थिति ये है कि न नई मशीन खरीदी गई और न पीपीपी मोड पर ही जांचें शुरू हुईं।जन स्वास्थ्य को लेकर अधिकारी कितने संजीदा हैं, जरा इसका भी नमूना देख लीजिए। इस विषय में अपर सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा निदेशक युगल किशोर पंत का पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने यह कहकर मामला टाल दिया कि इस पर कल बात करेंगे। उन्हें इस बात की भी परवाह नहीं कि मरीज बाहर जाकर कई गुना शुल्क पर सीटी स्कैन करा रहे हैं।प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शुमार दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में न केवल शहर, बल्कि पर्वतीय क्षेत्रों व यूपी-हिमाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें दुर्घटना के भी कई मामले होते हैं और मरीज को तुरंत सीटी स्कैन की आवश्यकता होती है। पर अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन ग्यारह माह से ठप पड़ी है।इसके बदले कॉलेज प्रशासन ने 80 स्लाइस की नई मशीन खरीदने की तैयारी की। जिसका अधिकारियों ने डेमो लिया और खरीद की प्रक्रिया भी पूरी कर ली। पर इस बीच मेडिकल कॉलेजों की एक बैठक में किसी ने यह सुझाव दे दिया कि मशीन की खरीद व रखरखाव पर खर्च ज्यादा है। इससे बेहतर इसे पीपीपी मोड पर संचालित किया जा सकता है। जिस पर खरीद संबंधी फाइल डंप कर दी गई। हद ये कि प्राइवेट पार्टनरशिप पर भी सीटी स्कैन शुरू होने के कोई आसार नहीं दिख रहे।