उत्तराखंड स्पेशल- उत्तराखंड की बारहनाजा पद्धति से बना भोजन नहीं खाया तो क्या खाया।

सर्दियों का मौसम है जिसे खाने पीने के लिहाज से सबसे बेहतरीन मौसम माना जाता है।इस मौसम में जठराग्नि और मौसमों के हिसाब से ज़्यादा तेज़ गति से काम करती है लिहाजा भूख भी सर्दियों में कुछ ज़्यादा ही लगती है।ऐसे में हमे उन पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता होती है जो शरीर को गर्मी भी दे और ऊर्जा भी।पहाड़ों में पूर्वज सर्दियों के मौसम में बारहनाजा पद्धति के द्वारा मोटा अनाज तैयार कर पारंपरिक भोजन खाने की सलाह बरसो से देते आ रहे हैं,इस पौष्टिक भोजन से पाचन क्षमता दुरुस्त होने के साथ साथ सर्दियों में होने वाले सर्दी जुखाम के अलावा जो और बीमारी घेर लेती हैं उनसे बचाव होता है।उत्तराखंड की बारहनाजा पद्धति एक सनातनी व्यवस्था है जिसमे एक "बैलेंस्ड डाइट" भोजन में शामिल की जाती है।इस डाइट में मोटे अनाज जैसे गेंहू,धान,मंडुआ,झंगोरा,ज्वार,चौलाई, तिल, राजमा,उड़द, गेहत, नौरंगी,लोबिया,तोर बाजरा जैसी फसलों को मिलाया जाता है और पौष्टिक भोजन तैयार किया जाता है।उत्तराखंड के पहाड़ो में अक्सर शादी ब्याह में भी इन्ही मोटी दालों को मिलाकर व्यंजन तैयार किये जाते हैं।स्वाले, खीर,रोट, भुड़े, पुए,पट्यूर,गुंडला, पेठा,और पिंडालू से बनने वाली बढ़िया भी अक्सर भोजन में परोसी जाती है जिसका अलग ही मजेदार स्वाद होता है।



पहाड़ी भोजन में गुणों की भरमार पाई जाती है ये भोजन प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन, और खनिज लवणों से भरपूर होते हैं,साथ ही पहाड़ी भोजन में एंटी ऑक्सीडेंट तत्वों की मात्रा भी खूब पाई जाती है,जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।पहाड़ी दाल भात के साथ काफली, फ़ानु, झ्वली, चेंसु,रेलु,बड़ी,पल्यो, कोदे, (मंडुआ), मुंगरी (मक्का),की रोटी,आलू थिंचोनी, आलू झोल,झंगोरे का भात,अरसा,भांग चटनी ,भट की चुरकानी, डुबुक, गेहत,झंगोरे की खीर,सवाला, तिल की चटनी उड़द दाल के बड़े,और सब्जियों में कंडाली की सब्जी खूब बनाई जाती है।साथ ही कुमाऊँनी रायता तो अब देश ही नही विदेशों में भी खूब पसंद किया जा रहा है, ये स्वाद में बिल्कुल अलग होता है जिसमे खीरे के साथ दही ,सरसों के दाने पीसकर,हरी मिर्च,हल्दी,और हरे धनिये का खूब इस्तेमाल किया जाता है,सरसों की महक से ही आप इस कुमाऊँनी रायते के दीवाने हो जाएंगे और चखते ही इसका स्वाद आपको हर रोज़ ऐसा ही रायता खाने पर मजबूर कर देगा।पहाड़ो के हर घर की शान मंडुआ अब उत्तराखंड के ज़्यादातर हर होटल में प्रयोग होने लगा है,मंडुये में बहुत ज़्यादा फाइबर पाया जाता है,अब तो मंडुये के केक,बिस्किट, पैन केक,पकौड़े,सभी चीज़े बनने लगी है,मंडुये के साथ जब गेंहू को मिलाकर रोटी बनाई जाती है तो उस रोटी को ढबड़ी रोटी कहते हैं।

पहाड़ी व्यंजनों के साथ भुनी हुई लाल मिर्च और चटनी के साथ मूली आपको जरूर मिल जाएगी।जब भी आप उत्तराखंड के पहाड़ो की सैर पर जाए तो यहां के भोज्य पदार्थों का स्वाद ज़रूर चखें,क्योंकि दुनियाभर में भी अब उत्तराखंड के भोजन की मांग बढ़ने लगी है।