अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ याचिका डालना तो कोई डॉक्टर स्वामी से सीखें

बीजेपी के नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने उत्तराखंड हाइकोर्ट में  देवस्थानम बोर्ड एक्ट को चुनौती दी है।इस मामले में स्वामी खुद हाइकोर्ट पहुंचे,उनकी ओर से हाइकोर्ट में आज याचिका भी दाखिल की गई है।मंगलवार को इस मामले में सुनवाई की जाएगी।

आपको बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम को देवस्थानम एक्ट के अंतर्गत शामिल कर दिया है,साथ ही राज्य के कुछ और मंदिरों को भी इस एक्ट में शामिल किया गया है,लेकिन इस एक्ट के विरोध में चारो धामो के पुरोहितों ने स्वामी से एक्ट को रद्द करने की मांग की है,और सभी तीर्थ पुरोहितों ने इस एक्ट के विरोध में तीर्थ महापंचायत का गठन भी किया है।

इस एक्ट को रद्द करने के लिए ही स्वामी ने उत्तराखंड हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की और कहा कि मंदिरों को सरकार के अधीन करना गलत है,फिर चाहे सरकार कोई भी हो मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण नही किया जा सकता।

देवस्थानम एक्ट को लेकर सभी तीर्थ पुरोहित विरोध करते आये हैं ,चारो धामो की राज्य और राज्य के बाहर करोड़ो की परिसंपत्ति हैं।इन चारों धामो की पूजा व्यवस्था अलग अलग समितियां करती हैं वहीं केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की पूजा और मंदिर प्रबंधन की व्यवस्था बीकेटीसी द्वारा संचालित की जाती है,अब अगर वे एक्ट अस्तित्व में आ जाता है तो बीकेटीसी यानी बद्री केदार मंदिर समिति का खुद का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा।पुरोहितों को भय है कि सरकार चारो धामो को अपने नियंत्रण में कर के मंदिरों के आसपास की दुकानों के आवंटन में तीर्थ पुरोहितों को नज़रअंदाज़ कर देगी।