उत्तराखण्ड में गरमाया ‘टीडीसी’ का मुद्दा! पूर्व विधायक ठुकराल के बाद अब कांग्रेस ने खोला मोर्चा, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा बोले- भाजपा विधायक के रिश्तेदार को पहुंचाया जा रहा लाभ

The issue of 'TDC' heats up in Uttarakhand! After former MLA Thukral, now Congress has opened a front, state president Karan Mahara said- BJP MLA's relative is being benefited

रुद्रपुर। उत्तराखण्ड में टीडीसी का मामला खासा सुर्खियों में बना हुआ है। इस मामले को लेकर जहां पिछले दिनों रुद्रपुर के पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने तमाम सवाल उठाए थे, वहीं अब कांग्रेस ने भी टीडीसी प्रकरण को लेकर मोर्चा खोल दिया है। आज मंगलवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने रुद्रपुर के सिटी क्लब पहुंचकर पत्रकार वार्ता की। इस दौरान उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा उत्तराखंड की संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने का आरोप आया है। करन माहरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ऊधम सिंह नगर जिले में टीडीसी को खत्म करने का काम भाजपा सरकार में किया जा रहा है। कहा कि पंतनगर टीडीसी को एयरपोर्ट विस्तारीकरण के नाम पर खत्म किया जा रहा है। वहीं मटकोटा, बाजपुर में बीज निगम के प्लांट को भी खुर्द किया जा रहा है। उन्होंने रुद्रपुर से भाजपा विधायक के रिश्तेदार को कम दाम में ठेका देकर इसका लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि विधायक के रिश्तेदार को टीडीसी में करोड़ों की मशीन को औने-पौने दामों में बेचने का काम किया गया है। कहा कि आने वाले समय में टीडीसी खत्म होने से उत्तराखंड के किसानों को काफी दिक्कत होगी।

बता दें कि अभी हाल ही में रुद्रपुर के पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने प्रेस वार्ता में बताया कि वर्तमान में पंतनगर एयरपोर्ट का विस्तारीकरण हो रहा है। जिसके बाद से जद में आए सरकारी भवन, मकानों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी शुरू हो चुकी है। ऐसे में देश-विदेशों में बीज उत्पादन से विख्यात विशाल टीडीसी का भवन भी विस्तारीकरण की जद में आया है। बताया कि वर्ष 2024 में शासन-प्रशासन के अधिकारियों की सांठगांठ के बाद गोपनीय निविदा निकलती है। चार चरणों की सरकारी निविदा 12 करोड़ निर्धारित हुई, लेकिन 6.49 करोड़ में गोपनीय तरीके से रुद्रपुर के सत्ताधारी नेता के करीबी को निविदा दे दी गई, जबकि नियमानुसार निविदा को सार्वजनिक किया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि यही निविदा सार्वजनिक होती तो बाहरी प्रदेशों के ठेकेदार आते  और अनुमानित सौ से डेढ़ करोड़ की निविदा स्वीकृत होती। कहा कि टीडीसी में प्रतिवर्ष करोड़ों के उपकरण, वाहन, मशीन और टीडीसी भवन का स्क्रैप ही करोड़ों का है।