सचिवालय में चल रहा ट्रांसफर- पोस्टिंग के नाम पर बड़ा खेल।

उत्तराखंड की सरकार जीरो ट्रॉलरेंस की नीति को अपनाकर कामकाज करने की बात करती है । तो वहीं सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत जगह- जगह जीरो ट्रॉलरेंस का संदेश देते नजर आते हैं, कि हमारी सरकार जीरो ट्रॉलरेंस की सरकार है, हमारी सरकार में भ्रष्टाचार नहीं है। लेकिन क्या ये हकीकत है, ये एक बड़ा सवाल है? उत्तराखंड में ब्यूरोक्रेसी पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। यहां तक की मंत्रियों का कहना भी अधिकारी नहीं मानते हैं। इसीलिए मंत्री भी कहते नजर आते हैं कि उत्तराखंड में ब्यूरोक्रेसी हावी है। बात अगर सचिवालय की करें तो यहां पर ट्रांसफर- पोस्टिंग के नाम पर तगड़ा खेल चलता है। जिस अधिकारी की जितनी ऊपर तक सेटिंग उस अधिकारी को उतनी अच्छी मलाईदार जगह। और जो अधिकारी अपना काम ईमानदारी से करते हैं और उनकी सेटिंग ऊपर तक नहीं होती उनको किसी छोटे से डिपार्टमेंट में डालकर कई कई सालों तक उनका शोषण किया जाता है। सचिवालय में ट्रांसफर- पोस्टिंग का खेल आज से नहीं काफी सालों से चल रहा है।सूबे के मुखिया के कुछ सिपहसालार ट्रांसफर- पोस्टिंग के नाम पर बड़ा खेल खेलते हैं। लेकिन फिर भी सूबे के मुखिया इस पर चुप्पी साधे हुए हैं, और सवाल करने पर जांच का हवाला देते नजर आते हैं। सचिवालय में ट्रांसफर- पोस्टिंग का जिम्मा अपर मुख्य सचिव(कार्मिक) के पास होता है। लेकिन क्या यहीं से चलता है, इतना बड़ा खेल इस पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। यहां तक की उत्तराखंड के कई मंत्रियों ने ट्रांसफर- पोस्टिंग में धांधली को लेकर सवाल उठाए हैं। अभी कुछ ही दिन पहले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने ट्रांसफर- पोस्टिंग में हो रही धांधली को लेकर जीरो ट्रॉलरेंस की नीति पर सवाल खड़े किए हैं। जिस पर सूबे के मुखिया केवल जांच का हवाला देकर चुप्पी साध लेतें हैं। अब सवाल यह उठता है कि सचिवालय में इतना बड़ा खेल आखिर किसके इशारे पर चलता है? क्या यही है जीरो ट्रॉलरेंस की सरकार।