वर्दी की कीमत तुम क्या जानों चालक बाबू

वर्दी की अहमियत क्या होती है, शायद उत्तराखंड रोडवेज के चालक व परिचालकों को नहीं मालूम। सेवा नियमावली में ड्यूटी के वक्त वर्दी अनिवार्य होने के बावजूद इन्हें वर्दी पहनने से गुरेज है। यही नहीं, नैनीताल हाईकोर्ट ने भी इसका संज्ञान लेकर रोडवेज प्रबंधन को 1 सितंबर 2018 से उत्तराखंड परिवहन निगम में चालक व परिचालकों के लिए वर्दी अनिवार्य करने के आदेश दिए थे। लेकिन न कर्मचारियों ने इनका पालन किया न ही प्रबंधन ने वर्दी न पहनने पर जुर्माने की चेतावनी दी थी। लेकिन बीते दस माह में एक भी कर्मी के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई। सेवा नियमावली में वर्दी के साथ छाती पर नाम पट्टिका लगाना अनिवार्य शर्त है, लेकिन निगम में न वर्दी का उपयोग हो रहा है, और न पट्टिका कहीं दिखाई देती है। जिस कारण यात्रियों को न केवल परेशानी होती है बल्कि यात्रा में असुविधा होने पर चालक - परिचालक की पहचान भी नहीं हो पाती । दरअसल उत्तराखंड परिवहन निगम की ओर से चालक परिचालकों के लिए वर्दी का पहनना अनिवार्य तो किया गया है मगर वर्दी मिलती नहीं। करोड़ों के वित्तीय घाटे से जूझ रहे रोडवेज प्रबंधन की ओर से वर्दी देना बंद कर दिया है। उत्तराखंड राज्य परिवहन निगम बने 16 साल बीत चुके हैं। और इस अवधि में चालक -परिचालकों को एक मर्तबा भी वर्दी के लिए कपड़ा नहीं दिया गया । वहीं प्रबंधन के द्वारा अब हाईकोर्ट के आदेश पर वर्दी भत्ता तो देना शुरु किया गया है।लेकिन चालक- परिचालक तब भी वर्दी नहीं पहन रहे हैं।