रुड़की के सिविल अस्पताल में मरीजों को स्ट्रैचर तक नसीब नहीं।

प्रदेश सरकार मरीज़ों को बेहतर इलाज देने का लाख दावा करती हो लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की हकीकत कुछ औऱ ही है।रुड़की के सिविल अस्पताल से बेहद शर्मसार कर देने वाली तस्वीर सामने आई है,जिसमें एक पति अपनी बीमार पत्नी को गोद में उठाए घंटो तक इधर से उधर भटकता रहा लेकिन भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा,यह नजारा रुड़की सिविल अस्पताल का स्टाफ भी देखता रहा लेकिन किसी के द्वारा बीमार महिला को व्हीलचेयर या स्टेचर मुहैया कराने की जरूरत नहीं समझी गयी,सिविल अस्पताल में आए अन्य मरीजों का कलेजा भी इस दृश्य को देख कांप उठा,वहीं इस मामले में जब रुड़की सिविल अस्पताल के प्रभारी से इस लापरवाही की वजह जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने मीडिया के कैमरे के आगे आने से साफ मना कर दिया।उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य विभाग की नाकामी का यह पहला मामला नहीं है कुछ दिन पूर्व चमोली से देहरादून तक एक व्यक्ति अपनी गर्भवती महिला को लेकर भटकता रहा था,जबकि दो दिन पूर्व गंगोलीहाट विधायक मीना गंगोला की देवरानी को उचित समय पर इलाज न मिल पाने के कारण उसके नवजात बच्चे ने दम तोड़ दिया था। उत्तराखंड सरकार स्वास्थ्य विभाग भले ही लाख दावे बेहतर स्वास्थ्य को लेकर करता हो लेकिन आज जो रुड़की के सिविल अस्पताल से तस्वीरें सामने आई हैं उसने रुड़की सिविल अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को साफ तौर पर उजागर कर दिया गया,यह तस्वीर इस बात का जीता जागता सबूत बन गई कि यहां आने वाले मरीजों को बेहतर इलाज तो दूर इलाज के लिए व्हीलचेयर और स्ट्रेचर तक नसीब नहीं हो पाते।