क्या ये चुनाव भी कांग्रेस बयानबाजी में ही गंवायेगी ?

उत्तराखंड के पूर्व वित्त मंत्री प्रकाश पंत के निधन के बाद खाली चल रही पिथौरागढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है,जिसके लिए भारत निर्वाचन आयोग ने 25 नवंबर को मतदान की तिथि नियत की है।निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की तिथि के ऐलान के बाद से राज्य में उपचुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में भी हलचल तेज हो गई है।प्रदेश में कांग्रेस कुछ समय से चुनाव जीतने से ज्यादा गुटबाजी व अपने बयानों को लेकर चर्चा में रही है।वहीं अब उपचुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस में एक बार फिर से बयानबाजी शुरू हो गयी है,पिथौरागढ़ सीट से पूर्व में विधायक रहे मय़ूख महर के चुनाव लड़ने से इंकार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक चुके हैं,तो वहीं अब  कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने हरीश रावत को चुनाव लड़नेे के लिए बेहतर प्रत्याशी बताया है,किशोर उपाध्याय का कहना है कि इस समय कांग्रेस को मजबूत उम्मीदवार की जरूरत है,और यदि मयूख महर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं तो कांग्रेस को हरीश रावत को चुनाव लड़ाना चाहिए क्योंकि क्षेेत्र में हरीश रावत की बेहतर पकड़ है।साथ ही उन्होंने कहा कि मैैं कांग्रेस का कार्यकर्ता हूं और कार्यकर्ता होने के नातेेेे मेरा यह पार्टी को सुझाव है।प्रदेश में पिछला विधानसभा चुुनाव हो या लोकसभा चुनाव कांंग्रेस की स्थिति खराब होती रही। भाजपा ने उपचुनाव के लिए तैयारी शुरू करते हुए दो सदस्यीय चुनाव निगरानी समिति का गठन कर दिया है,वहीं कांंग्रेस के नेताओं के व्यक्तिगत बयान पार्टी को असहज किए हुए हैं।कांग्रेस के नेताओं द्वारा व्यक्तिगत बयानबाजी का नुकसान पार्टी पिछले चुनावों में उठा चुकी है लेकिन लगता है पार्टी के नेताओं ने इन हारों के बाद भी कोई सबक नहींं लिया।इस समय पार्टी को जहां एकजुट होकर चुनाव लड़ने की जरूरत थी वहीं पार्टी के नेता अपने व्यक्तिगत बयानों से पार्टी को असहज करने में लगे हैं।बेहतर होता यह नेता अपनी दावेदारी पार्टी की बैठक में अपने शीर्ष नेतृत्व  के सामने पेश करते लेकिन यह पार्टी बैठक से पहले ही मीडिया में अपनी दावेदारी पेेश कर चुके हैं।