किसानो की आत्महत्या मामले में हाईकोर्ट ने मांगा मुख्य सचिव द्वारा दिये गये शपथपत्र पर स्पष्टीकरण

आये दिन किसानों की आत्महत्या और राज्य सरकार द्वारा उनकी फसलों का सही समय पर भुगतान ना करने के खिलाफ दायर अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुये उत्तराखंड हाईकोर्ट में मुख्य सचिव द्वारा शपथपत्र पेश किया गाया,कोर्ट ने फिर शपथपत्र का स्पष्टीकरण मांगा है।याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार ने किसानों का 2019 का 7सौ करोड़ और 2018 का दो सौ करोड़ का भुगतान नहीं किया ना ही सरकार ने अभी तक किसान आयोग का गठन किया है।जबकि मुख्य सचिव द्वारा कहा गया है कि उन्होने किसानो का 15 अप्रैल 2019 तक का भुगतान कर दिया है।किसान आयोग गठन पर सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि किसान आयोग का गठन लोकसभा चुनाव के बाद ही हो सकेगा।

याचिकाकर्ता गणेश उपाध्याय ने अवमानना याचिका दायर कर कहा गया था कि सरकार की ओर से लगातार किसानों के हितों की अनदेखी की जा रही है। सरकार पर ऊधमसिंहनगर जनपद के गन्ना किसानों का रूपया बकाया है। सरकार ने अभी तक किसानों के गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं किया है। साथ ही कोर्ट ने पूर्व में जारी आदेश में कहा था कि सरकार किसानों के कल्याण के लिये तीन माह के अंदर राज्य कृषक आयोग का गठन करे। साथ ही एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान करे। पीठ ने किसानों की फसलों को मौसम से होने वाले नुकसान व उसके बदले बीमा भुगतान करने के लिये नीति बनाने के भी निर्देश दिये थे। सरकार चाहे तो इसके लिये किसानों से न्यूनतम दर पर प्रीमियम वसूल सकती है। आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार को पारिवारिक पेंशन देने के लिये योजना भी तैयार करने के निर्देश सरकार को दिये थे।