उत्तराखंड परिवहन निगम को कोर्ट का नोटिस

हाईकोर्ट ने राज्य में रोडवेज कर्मचारियों पर एस्मा लगाने की कार्रवाई पर रोक को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश परिवहन निगम व उत्तराखंड परिवहन निगम को नोटिस जारी किया है। साथ ही उत्तराखंड सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी संघ की जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ किया कि सरकार को एस्मा लगाने का अधिकार हो। कोर्ट ने यह टिप्पणी कि हड़ताल से आम आदमी को दिक्कत होती है। संघ की याचिका में कहा गया था कि सरकार कर्मचारियों पर एस्मा लगा रही है, जो कि नियम विरुद्ध है। सरकार कर्मचारियों को हड़ताल के लिए मजबूर कर रही है। सरकार व परिवहन निगम द्वारा न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जा रहा है, ना ही उनको नियमित वेतन दिया जा रहा है। पिछले चार साल से कर्मचारियों को ओवर टाइम नहीं दिया जा रहा है। रिटायर कर्मचारियों के देयकों का भुगतान नहीं दिया जा रहा है।यूनियन व सरकार के बीच वार्ता में कई बार मांगों पर समझौता हो चुका है। मगर उसके बाद भी सरकार कर्मचारियों पर एस्मा लगाने को तैयार है। संघ का यह भी कहना है कि सरकार पर निगम का 45 करोड़ बकाया है। अगर यह रकम मिल जाए तो सारी समस्या हल हो जाएगीं।