अब गाड़ियों से ज़हरीला धुँआ नहीं बल्कि ऑक्सिजन निकलेगी।पानी से चलने वाली गाड़ियां जल्द होंगी लांच

पर्यावरण को प्रदूषित करने में सबसे बड़ा कारण पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों से निकलता धुँआ होता है।आवाजाही के लिए गाड़िया भी ज़रूरी हैं, लेकिन इनसे निकलते धुँए की वजह से दिन प्रतिदिन पर्यावरण को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है,इस गंभीर मुद्दे को देखते हुए यूएनएसडब्ल्यू की अगुवाई करने वाली वैज्ञानिकों की टीम ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए एक बेहद कामगार और सस्ता उपाय ढूंढ निकाला है,अब दुनिया को शायद बढ़ते प्रदूषण की मार से बचाया जा सके।

दरअसल ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में स्थित न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय यानी यूएनएसडब्ल्यू ,स्वाइन बर्न यूनिवर्सिटी और ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिकलर हाइड्रोजन को पानी से अलग करने का सफल प्रयोग कर दुनिया को अचरज में डाल दिया है,ये प्रयोग इन वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजन को सोखने के लिए पानी से ऑक्सिजन को अलग कर किया।इन वैज्ञानिकों का ये शोध बहुचर्चित पत्रिका नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित हुआ था,जिसमे बताया गया है कि इस पूरी प्रक्रिया में लोहा और निकिल जैसी धातुओं का इस्तेमाल कर हाइड्रोजन को पानी से अलग किया जा सकता है,चूंकि ये धातु धरती पर सबसे ज़्यादा मात्रा में पाई जाती है इसीलिए इनका उपयोग करना ज़्यादा उचित है अन्य धातु जिनसे ये प्रक्रिया की जा सकती जैसे प्लेटिनम, रुथेनिम, और इरीडियम धातु बहुत महँगी धातु है,लोहा और निकिल सस्ती धातु है जो इस प्रक्रिया में उत्प्रेरक के रूप में काम आ सकती हैं।पानी के विभाजन में दो इलेक्ट्रोड पानी मे इलेक्ट्रिक को चार्ज करते हैं जो ऑक्सिजन को हाइड्रोजन से अलग कर देता है ,और इस ऊर्जा को ही ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है,ये प्रक्रिया सस्ती होने के साथ साथ इको फ्रेंडली भी है ,क्योंकि इस प्रक्रिया से जब ऑक्सिजन हाइड्रोजन से अलग होती है तो अलग हुई ऑक्सिजन वातावरण में घुल जाती है ।अब तक गाड़ियों से सिर्फ कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ज़हरीली गैसें ही निकला करती थी जो पर्यावरण के लिए बेहद घातक सिद्ध हो चुकी है परंतु अब गाड़ियों से ऑक्सिजन गैस निकलने से वातावरण भी शुद्ध बना रहेगा और आवाजाही भी नही रुकेगी।