बिग ब्रेकिंग नैनीताल : भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान नैनीताल डीएम रहे धीराज सिंह गर्ब्याल और राज्य सरकार को जारी हुए नोटिस

नैनीताल। हाईकोर्ट ने नैनीताल में जिलाधिकारी रहे धीराज सिंह गर्ब्याल द्वारा व्यापक भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरूपयोग करने के आरोप में दायर जनहित याचिका पर याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद आईएएस धीराज सिंह गर्ब्याल को नोटिस जारी किया है और सरकार को 6 हफ्तों के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।मामले की अगली तारीख 16 जून निर्धारित की गई है।
मामले के अनुसार गाजियाबाद निवासी संजय गुप्ता ने उत्तराखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर तत्कालीन नैनीताल जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल पर आरोप लगाया है कि नैनीताल के जिलाधिकारी रहते हुए धीराज सिंह गर्ब्याल ने जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) फंड का दुरुपयोग किया है ,जिसमें खनन-प्रभावित क्षेत्रों के कल्याण हेतु निर्धारित DMF फंड का उपयोग नैनीताल के गैर-खनन क्षेत्रों के सौंदर्यीकरण और निर्माण कार्यों में किया गया जिनमें नैनीताल जिले के पसौली गाँव में सड़क निर्माण करवाया गया क्योंकि पसौली गाँव में जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने अपनी पत्नी के नाम ज़मीन खरीदी है और इसी गाँव में उनके पार्टनरों की भी जमीन स्थित है । इस निर्माण कार्य के लिए जिलाधिकारी ने 2019 से 2023 के बीच 115 करोड़ रुपये से अधिक का फंड जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) फंड से निकाला जो कि अवैध है । पसौली गाँव जहां पहले धीराज सिंह गर्ब्याल ने अपनी पत्नी और अन्य साथियों के साथ पूरा पहाड़ खरीद लिया और वह रास्ता बनाने के लिए अवैध तरीके से खनिज फाउंडेशन फंड का दुरपयोग किया और सड़क बनाने के लिए ठेका भी अपने ही पार्टनर की कंपनी को दिलवा दिया । ऐसे ही धीराज सिंह गर्ब्याल ने अपने ही करीबियों को कृषि भूमि आवंटित की और फिर उस भूमि पर खनिज संबंधित कार्यों को अंजाम दिया गया । याचिकाकर्ता ने जिलाधिकारी रहे धीराज गर्ब्याल पर अवैध शस्त्र लाइसेंस बिना पुलिस सत्यापन के जारी करने और शस्त्र अधिनियम 1959 की धारा 13 का उल्लंघन कर नकारात्मक पुलिस रिपोर्ट के बावजूद शस्त्र लाइसेंस जारी करने के भी आरोप लगाए हैं । याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में ये भी कहा कि जिलाधिकारी रहे धीराज गर्ब्याल ने उत्तराखंड जमींदारी उन्मूलन अधिनियम का भी उल्लंघन किया है और उन्होंने अनुसूचित जाति/जनजाति की जमीन की बिक्री के लिए अवैध अनुमति दी,कुछ अनुमतियां पूर्व तिथि वाली थी या एक ही दिन में स्वीकृत की गई थी । याचिका में ये भी कहा गया है कि ये अनुमतियां जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल के करीबी लोगों के पक्ष में प्रतीत होती है। याचिका में जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल पर पक्षपातपूर्ण ठेका आवंटन के लिए अपने पद का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया है । जिसमे हिमालयन होम्स कंस्ट्रक्शन, सौम्या कंस्ट्रक्शन शामिल हैं । याचिका में धीराज गर्ब्याल पर राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ और सार्वजनिक संपत्ति का दुरुपयोग का भी आरोप लगाया है। जिसमे राज्य कोष का अवैध उपयोग और भूमि रिकॉर्ड में अनियमितता, पट्टा स्वीकृति और रॉयल्टी संग्रह में वैधानिक प्रक्रिया की अनदेखी का आरोप लगाया गया है । याचिककर्ता ने धीराज सिंह गर्ब्याल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने जिलाधिकारी रहते हुए बिना आबकारी और एसडीएम कि रिपोर्ट के बार लाएसेन्स आवंटित किए है ।
याचिककर्ता ने कहा है कि नैनीताल के जिलाधिकारी रहते हुए धीराज सिंह गर्ब्याल ने अपने कार्यकाल में जितनी भी निर्माण सामग्री की पूर्ति और कार्य करवाया गया उसमें केवल तीन व्यक्तियों की फर्मों के कोटेशन पाए गए जो कि इनके करीबियों में आते है और इसका कारण यह रहा कि सम्पूर्ण फंड जो कि जिला योजना या खनिज न्यास से स्वीकृत किया तो केएमवीएन (KMVN) नैनीताल और मंडी बोर्ड रुद्रपुर के द्वारा रूट करवाया गया, याचिककर्ता ने कहा है कि इन दोनों संस्थाओं में एक ही इंजीनियरिंग हेड है जो जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल के करीबी और खास व्यक्ति है साथ ही इन दोनों संस्थाओं में जिलाधिकारी गर्ब्याल 5 वर्ष तक बतौर प्रबंध निदेशक रहे है ।
याचिककर्ता संजय गुप्ता के अनुसार जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल के द्वारा एक सुनियोजित तरीके से एक नेक्सेस ऑपरेट करते हुए कलेक्टिव करप्शन किया जा रहा है । याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों और सीएजी (CAG) की रिपोर्ट का हवाला देकर नागरिक के भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्रवाई शुरू करने के अधिकार का उल्लेख करते हुए हाई कोर्ट से जिलाधिकारी रहे धीराज गर्ब्याल के आचरण और संपत्तियों की सीबीआई या ईडी जांच करवाने की मांग की है ताकि उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को रोक जा सके और ऐसे अधिकारियों के नेक्सेस को तोड़ा जा सके ।