नैनीताल। इसे प्राकृतिक आपदा कहें या फिर शासन-प्रशासन की लापरवाही! कुदरत का कहर कहें या फिर जल्दबाजी में लिए गए फैसले। जो भी हो सरोवर नगरी नैनीताल में भूस्खलन का खतरा लगातार मंडरा रहा है। अभी हाल ही में एक ऐसा वाक्या हुआ जिसने न केवल लोगों के दिलों में दहशत भर दी, बल्कि नैनीताल जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए।
दरअसल, बीती शनिवार को नैनीताल में भूस्खलन होने से एक दो मंजिला मकान ताश के पत्तों की तरह ढह गया। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसे देखकर हर किसी के रौंगटे खड़े हो गए।
पिछले दिनों हाईकोर्ट के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा बीडी पांडे अस्पताल की भूमि से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गयी थी। इस कार्रवाई के दौरान भारी भरकम मशीनों का उपयोग किया गया था, जिसके चलते लोगों ने आशंका जताई थी कि इसके चलते ऊपरी पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन जैसा बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसके बाद चार्टन लॉज में एक मकान के भूस्खलन की चपेट में आ गया। हांलाकि गनीमत रही कि भूस्खलन से पूर्व ही मकान खाली कराया गया था, जिसके चलते जानमाल का नुकसान नहीं हुआ।
अब ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या जिला प्रशासन ने निचले क्षेत्रों से भूस्खलन हटाने की कार्यवाही से पहले सर्वे किया था। अगर हां, तो फिर कैसे इतना बड़ा रिस्क लिया गया और अगर नही तो बिना सर्वे किए कैसे इतनी बड़ी कार्रवाई की गयी। लोगों के मन में ऐसे ही कई सवाल उठ रहे हैं।
अब यहां यह उल्लेख करना भी जरूरी है कि बीडी पाण्डे अस्पताल खड़ी पहाड़ी के ठीक नीचे बना हुआ है। हांलाकि सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटना जरूरी है, लेकिन क्या यहां अतिक्रमण हटाने से पहले जिला प्रशासन द्वारा संबंधित विभागों से सर्वे कराया गया था। जैसा कि नैनीताल में पिछले कई समय से लगातार भूस्खलन के मामले सामने आते रहते हैं। सूत्रों की मानें तो जिला प्रशासन ने बीडी पाण्डे की जमीन से अतिक्रमण हटाने से पहले कोई भी ऐसा सर्वे नहीं कराया गया, जिससे अब हो नुकसान से बचा जा सकता था।