नैनीताल पुलिस के लिए जान सस्ती है ! रेप मर्डर की धमकी के बाद जानलेवा हमले तक हैरान पुलिस और दफा 307 के बाद भी खामोश पुलिस ! खनन माफिया और हिश्ट्रीशीटरों के आतंक से त्राहिमाम करता उत्तराखंड
मनोज गोस्वामी जो एक समाजसेवक के तौर पर उभर रहे है जिन्होने कुछ महीनों पहले बाबा नीम करोरी धाम में अपने बीमार पिता के लिए पैसे जुटाती बच्चियों को मदद करने का बीड़ा उठाया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, भावना पाण्डेय और सेंचुरी पेपर मिल से लेकर कई समाजसेवियों तक बच्चियों की गुहार पहुंचाई और आर्थिक सहायता दिलवाई यहाँ तक सब ठीक रहा वाहवाही हुई तारीफ हुई लेकिन जब मनोज गोस्वामी ने हल्द्वानी दमुवाढूंगा क्षेत्र में अवैध खनन को रोकने की कोशिश की तो जान पर बन आई और 30 जुलाई 2022 की शाम को मनोज गोस्वामी पर जान लेवा हमला हो गया जिसके बाद काठगोदाम पुलिस ने हमला करने के आरोपी हल्द्वानी निवासी धीरज कुमार,हृदयेश कुमार,रवि कुमार उर्फ रवि शूटर ,वीर सिंह उर्फ विप्पू ,मनीष कुमार उर्फ मींटू और राहुल सरोरी पर आईपीसी की धारा 323 ,147,148 और 307 के तहत मुकदमा पंजीकृत कर दिया । लेकिन आज 6 दिन बीतने के बाद भी पुलिस की विवेचना पूरी नहीं हो पायी है और अभी तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पायी है ।
मामले के अनुसार हिश्ट्रीशीटर हृदयेश कुमार जिस पर पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज़ है और उसका छोटा भाई धीरज कुमार जो वन विभाग में ही वन रक्षक के पद पर तैनात है ये दोनों एक संगठन बनाकर हल्द्वानी के दमुवाढूंगा क्षेत्र में कई वर्षों से अवैध खनन करते आए है जिस पर मनोज गोस्वामी ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस से शिकायत की लेकिन स्थानीय प्रशासन और और पुलिस ने तो अवैध खनन पर कोई कार्यवाही नहीं की वरन उल्टे हिश्ट्रीशीटर हृदयेश कुमार ने मनोज गोस्वामी को जान से मारने की धमकी देनी शुरू कर दी जिसके बाद मनोज गोस्वामी ने हिश्ट्रीशीटर हृदयेश कुमार को जिला बदर करने की मांग उठाई और स्थानीय पुलिस में शिकायत की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होने पर मनोज गोस्वामी एसएसपी पंकज भट्ट के पास गए और उसके बाद डीआईजी और प्रदेश के पुलिस मुखिया डीजीपी अशोक कुमार और मुख्य सचिव एस0 एस0 संधु से जाकर मिले तब जाकर जिला बदर की कार्यवाही आगे बढ़ी लेकिन जैसे ही फाइल डीएम कार्यालय नैनीताल पहुंची तो फिर ब्रेक लग गए लेकिन जब 30 जुलाई की शाम को मनोज गोस्वामी मंडलायुक्त दीपक रावत से अवैध खनन की शिकायत करने के बाद घर लौट रहे थे अचानक घाट लगाए बदमाशों के द्वारा हमला कर दिया गया और जब हमले की सूचना प्रशासन को मिली तो आनन फानन में डीएम कार्यालय नैनीताल ने जिला बदर करने की संस्तुति दे दी और शाम को हिश्ट्रीशीटर हरिदयेश कुमार और उसकी पूरी टीम पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा भी दर्ज़ कर लिया गया लेकिन 6 दिन बीतने के बाद भी आज तक पुलिस हृदयेश कुमार को गिरफ्तार नहीं कर पायी है ।
आज मनोज गोस्वामी ने आवाज़ इंडिया के माध्यम से एक विडियो जारी किया है जिसमे उन्होने पुलिस के द्वारा कार्यवाही न करने पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और बीजेपी नेता शंकर कोरंगा पर गंभीर आरोप लगाए है उन्होने विडियो के माध्यम से बताया है कि पुलिस राजनैतिक दबाव के चलते हिश्ट्रीशीटर हृदयेश कुमार को गिरफ्तार नहीं कर रही है और जब तक हृदयेश कुमार गिरफ्तार नहीं होता उनकी जान को खतरा बना हुआ है मनोज गोस्वामी ने नैनीताल पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए है कि जब पुलिस हीरो बनने के लिए शराब पीने वालों को या स्मैक लेने वालों को आसानी के साथ पकड़ लेती है और मीडिया में हीरो बन जाती है वास्तव में यह पुलिस राजनैतिक दबाव के चलते हिश्ट्रीशीटर हृदयेश कुमार जैसे माफ़ियों पर कार्यवाही करने से बचती है जिस कारण एक आम आदमी की जान कभी भी जा सकती है और यही वजह है कि आज पुलिस की कार्यप्रणाली से जनता दुखी है जनता के सेवक बनकर काम करने वाले वर्दी धारी वास्तव में जनता की सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि राजनैतिक संरक्षण प्राप्त हिश्ट्रीशीटर खनन माफियाओं की सुरक्षा के लिए ड्यूटि करते हुए दिखाई पड़ते है ।
मनोज गोस्वामी के अनुसार हृदयेश कुमार पर जिला बदर की कार्यवाही 25 मई 2022 को हो चुकी थी जिसका नोटिस पुलिस द्वारा हृदयेश कुमार के घर पर चस्पा कर द्या गया था लेकिन जिला बदर करने की फाइल नैनीताल जिलाधिकारी कार्यालय में रोक दी गयी जिसके बाद मुख्य सचिव के निर्देश के बाद जिला बदर की कार्यवाही की गयी ।
मनोज गोस्वामी ने बताया कि भाजपा नेता शंकर कोरंगा जो मुख्यमंत्री धामी के करीबी माने जाते है और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हृदयेश कुमार को बचाने के लिए नैनीताल डीएम पर दबाव बनाया जिस पर डीएम कार्यालय से जिला बदर की कार्यवाही करने में देरी की गयी जिस कारण उन पर जानलेवा हमला हो गया मनोज ने बताया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में गंगोलीहाट सीट से कॉंग्रेस प्रत्याशी खजान चंद्र गुड्डू जो कि हृदयेश कुमार के चाचा है जिस कारण हृदयेश कुमार राजनैतिक तौर पर मजबूत है इसलिए स्थानीय प्रशासन हृदयेश कुमार पर कार्यवाही करने से बचता है ।