हर घर तिरंगा अभियान से भारत के आन बान शान राष्ट्रीय ध्वज का हो रहा है अपमान!फ्लैग कोड जाने बिना ही लोग लगा रहे है झंडा

Is the national flag of India being insulted by the tricolor campaign at every home? People are putting up the flag without knowing the flag code

हर घर तिरंगा!अच्छी पहल है,लेकिन क्या हम सब इस पहल के लिए तैयार हैं? तिरंगा हमारी आन बान शान है। तिरंगा राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह के तौर पर राष्ट्रीय ध्वज दुनियाभर में देश की पहचान का प्रतिनिधित्व करता है. हमारा ध्वज शांति और भाईचारे की सोच लिए ना सिर्फ वर्तमान भारत की प्राथमिकता को दर्शाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति की महान विरासत को संजोकर भी रखता है।
 आजादी के 75 साल पूरे होने पर पूरे देश में मोदी सरकार की ओर से हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत, सरकार ने लोगों से अपील की है कि 13 से 15 अगस्त के बीच हर घर पर तिरंगा फहराया जाए।


13 अगस्त से पहले ही लोगो मे तिरंगे को लेकर जोश तो दिखाई दे रहा है लेकिन अज्ञानता के चलते लोग हमारे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान कर रहे है।अभियान के लिए हर राज्य के हर जिले में DM की अगुआई में कमेटी बनाई गई है ताकि इस अभियान पर नजर रखी जा सके,कि हर घर मे तिरंगा लग रहा है या नही। हर घर तिरंगा अभियान के तहत लोग तिरंगा तो अपने घरों,ऑफिस, होटल,स्कूल,हर जगह लगा रहे है लेकिन बिना फ्लैग कोड जाने। और यही अज्ञानता जाने अनजाने तिरंगे का अपमान करवा कर रही है। लोग झुके हुए झंडे आड़े तिरछे तरीके से घरों की छत पर बालकनी पर,लगा रहे है,जिससे न सिर्फ भारतीय तिरंगे का अपमान हो रहा है बल्कि देश की छवि भी धूमिल हो रही है। 

 

क्या है फ्लैग कोड?
फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002' के अनुसार झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए। इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए। तिरंगा कभी भी फटा या मैला-कुचैला,झुका हुआ तिरंगा नहीं फहराया जाना चाहिए।अशोक चक्र का कोई माप तय नही हैं सिर्फ इसमें 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं। तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता।किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन को छूना नहीं चाहिए किसी अन्य झंडे को राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा नहीं रख या लगा सकते।
झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है। पहले राष्ट्रीय ध्वज को आम लोग सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ही फहरा सकते थे लेकिन 2022 के संशोधन के बाद अब कोई भी नागरिक किसी भी दिन तिरंगे को फहरा सकता है।


फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002' के अनुसार फटे या मैले हो चुके तिरंगे को नष्ट करने का नियम भी बताया गया है। इसके अनुसार राष्ट्रीय ध्वज के निस्तारण के दो तरीके हैं। एक दफन करना और दूसरा जलाना। गंदे या फट गए तिरंगे को दफन करने के लिए लकड़ी का बॉक्स लेना होगा। इसमें तिरंगे को सम्मानपूर्वक तह लगाकर रखना होगा। फिर बहुत ही साफ स्थल पर जमीन में दफन करना होगा। इसके बाद उस स्थान पर दो मिनट तक मौन खड़े रहना होगा। जलाने के लिए साफ स्थान पर लकड़ी रखकर उसमें आग लगानी होगी।


किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए. बताया जाता है कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में जब चरखे की जगह अशोक चक्र लिया गया तो महात्मा गांधी नाराज हो गए थे. रांची का पहाड़ी मंदिर भारत का अकेला ऐसा मंदिर हैं जहां तिरंगा फहराया जाता हैं. 493 मीटर की ऊंचाई पर देश का सबसे ऊंचा झंडा भी रांची में ही फहराया गया है।
सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था. झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है. किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता. और न ही इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने किया जा सकता है।


पूरे भारत में 21 × 14 फीट के झंडे केवल तीन जगह पर ही फहराए जाते हैं: कर्नाटक का नारगुंड किला, महाराष्ट्र का पनहाला किला और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला. राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा हैं, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया है. भारत के संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होने और राष्ट्रीय शोक घोषित होने पर कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता है. लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुकाया जाता है जिस भवन में उस विभूति का पार्थिव शरीर रखा है. जैसे ही पार्थिव शरीर को भवन से बाहर निकाला जाता है, वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता है।


देश के लिए जान देने वाले शहीदों और देश की महान शख्सियतों को तिरंगे में लपेटा जाता है. इस दौरान केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ होनी चाहिए. शव को जलाने या दफनाने के बाद उसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती हैं. कटे-फटे या रंग उड़े हुए तिरंगे को भी सम्मान के साथ जला दिया जाता है या फिर वजन बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती है