ज्ञानव्यापी मस्जिद सर्वेक्षण-सर्वेक्षण के आदेश के बाद खुद जज को भी सताने लगा डर!आदेश में ही बयां की अपनी सुरक्षा की चिंता

After the order of the survey-survey, the judge himself started to worry about the fear!

भारत देश जहाँ न्यायपालिका के आगे प्रधानमंत्री क्या और राष्ट्रपति क्या! लेकिन आज देश के हालात ऐसे हो गए है कि न्यायपालिका भी डर के साये में है। हम बात कर रहे है देश के उस मुद्दे की जो इनदिनों काफ़ी सुर्खियों में है। वाराणसी की ज्ञानव्यापी मस्जिद में सर्वे का आदेश देने के बाद सिविल जज रवि कुमार दिवाकर दहशत भरी जिंदगी जी रहे हैं। उन्होंने अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है।

उन्होंने ज्ञानव्यापी मस्जिद श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियो सर्वेक्षण जारी रखने का आदेश दिया,आदेश में रवि कुमार दिवाकर ने अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंता व्यक्त की है। ऐसा भारत मे शायद पहली बार हो रहा होगा जब एक जज को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। उन्होंने आदेश में लिखा है कि इस दीवानी मामले को असाधारण मामला बनाकर भय का माहौल बनाया। डर इस कदर है कि मेरा परिवार हमेशा मेरी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहता है,और मुझे उनकी सुरक्षा की चिंता रहती है।

उन्होंने आदेश के पेज नम्बर 2 पर डर के माहौल का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि "मेरे घर से बाहर रहने पर पत्नी बार-बार मेरी सुरक्षा को लेकर चिंता करती रहती है. मां ने कल (बुधवार को) बातचीत के दौरान बताया कि उन्हें मीडिया के जरिए यह जानकारी मिली कि मैं भी शायद कमिश्नर के रूप में मौके पर (ज्ञानवापी मस्जिद) जा रहा हूं. मेरी मां ने मुझे मना किया कि मैं कमीशन पर न जाऊं क्योंकि इससे मेरी सुरक्षा को खतरा हो सकता है.’"
सिविल जज रवि कुमार दिवाकर की इस चिंता से जाहिर होता है कि देश मे हालात किस कदर बिगड़ रहे है। एक जज जो न्याय की बात करने के लिए कोर्ट के जाता है उसे न्याय सुनाने में भी डर लगने लगा है। 
आपको बता दें अयोध्या भूमि विवाद के बाद से ही काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानव्यापी मस्जिद परिसर पर विवाद शुरू हो गया। दावा किया जा रहा है कि मूल काशी विश्वनाथ मंदिर 2000 हज़ार साल पहले बनाया गया था,जिसे तोड़कर ज्ञानव्यापी मस्जिद का निर्माण 1669 में मुग़ल सम्राट औरंगजेब द्वारा किया गया। दूध का दूध पानी का पानी करने के लिए वाराणसी की एक अदालत ने पुरातात्विक सर्वेक्षण के आदेश भी दिया था लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उक्त आदेश पर रोक लगा दी थी। 

18 अप्रैल 2021 को वाराणसी की एक अदालत के समक्ष दिल्ली की कई महिलाओं ने याचिका दायर की जिसमे पीठ पर ज्ञानव्यापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर स्थित देवी श्रृंगार गौरी,भगवान गणेश, भगवान हनुमान, और नन्दी की दैनिक पूजा और अनुष्ठानों के पालन करने की अनुमति मांगी गई है।याचिका में दावा किया गया है कि प्राचीन काल से यहाँ देवी श्रृंगार गौरी की एक छवि मौजूद थी। जिसका पता लगाने के लिए कोर्ट से आग्रह किया गया। सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने याचिकाकर्ताओं के दावे का सच जानने के लिए एक वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण के आदेश दिया। आदेश के बाद 6 मई को एक टीम बनाकर मस्जिद के बाहर आंशिक सर्वेक्षण किया लेकिन उन्हें मस्जिद के भीतर प्रवेश नही करने दिया और साफ कहा कि मस्जिद के भीतर गैर मुस्लिम प्रवेश नही कर सकते।