स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए आशा-एएनएम का सहारा।

उत्तराखण्ड़ में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर लगातार गिरता जा रहा है,हाल ही में नीति आयोग और एनएचएम की समीक्षा में उत्तराखण्ड देशभर में फिसड्डी साबित हुआ था,इस रिपोर्ट के आने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग नई स्वास्थ्य नीति तैयार करने पर विचार कर रहा है।एनएचएम के एमड़ी युगल किशोर पंत का कहना है कि राज्य की स्वास्थ्य नीति में समय के साथ बदलाव जरूरी है,नीति आयोग द्वारा तय किए गए लक्ष्यों को राज्य की स्वास्थ्य नीति में शामिल करना होगा।उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में आशा-एएनएम का नेटवर्क गुणात्मक सुधार ला सकता है,पहाड़ पर स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ आशा और एएनएम होंगी,जिलों में इनका नेटवर्क मजबूत किया जाएगा।बीमारियों से बचाव में इनका सहयोग बढ़ाया जाएगा, टीकाकरण के साथ ही मातृ, शिशु की स्थिति को सुधारने पर फोकस किया जाएगा, आशा और एएनएम की पहुंच घर-घर तक है ऐसे में उनकी पहुंच को और मजबूत कर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाया जा सकता है।
वहीं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने दावा किया है कि नीति आयोग द्वारा 2024 के लिए तय किए गए लक्ष्यों को समय से पूर्व ही हासिल करने पर फोकस किया जाएगा।उन्होंने कहा कि नीति आयोग की गाइड़ लाइन का शत-प्रतिशत पालन करने के लिए नीति में बदलाव की जरुरत है,साथ ही उन्होंने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट में उत्तराखण्ड़ का फिसड्डी साबित होने की प्रमुख वजह यह रही कि दूसरे राज्यों ने नीति आयोग और एनएचएम के मानकों पर काम किया।जबकि राज्य अपने पुराने ढ़र्रे पर ही काम करता रहा इससे राज्य मानकों में काफी पीछे छूट गया।प्रदेश में इस बार यदि स्वास्थ्य नीति संसोधित होती है,तो यह तीसरी बार होगा जब राज्य में स्वास्थ्य नीति संशोधित की जाएगी।उत्तराखण्ड़ अपनी स्वास्थ्य नीति तैयार करने वाला देश का सबसे पहला राज्य था,2002 में पहली बार राज्य ने स्वास्थ्य नीति बनाई,इसके बाद 2013 में इसमें बदलाव किया गया।
वहीं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने दावा किया है कि नीति आयोग द्वारा 2024 के लिए तय किए गए लक्ष्यों को समय से पूर्व ही हासिल करने पर फोकस किया जाएगा।उन्होंने कहा कि नीति आयोग की गाइड़ लाइन का शत-प्रतिशत पालन करने के लिए नीति में बदलाव की जरुरत है,साथ ही उन्होंने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट में उत्तराखण्ड़ का फिसड्डी साबित होने की प्रमुख वजह यह रही कि दूसरे राज्यों ने नीति आयोग और एनएचएम के मानकों पर काम किया।जबकि राज्य अपने पुराने ढ़र्रे पर ही काम करता रहा इससे राज्य मानकों में काफी पीछे छूट गया।प्रदेश में इस बार यदि स्वास्थ्य नीति संसोधित होती है,तो यह तीसरी बार होगा जब राज्य में स्वास्थ्य नीति संशोधित की जाएगी।उत्तराखण्ड़ अपनी स्वास्थ्य नीति तैयार करने वाला देश का सबसे पहला राज्य था,2002 में पहली बार राज्य ने स्वास्थ्य नीति बनाई,इसके बाद 2013 में इसमें बदलाव किया गया।