पलायन की चपेट में आया राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी का गांव

त्तराखण्ड में तेज़ी से पाँव पसार रहे पलायन ने कई गांव की चकाचौन्द को वीरानियों में बदल डाला है ऐसे में कई घरो के किवाड़ सालो बीत जाने के बाद भी नही खुल पाये हैं इन्ही गांव में राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी का गॉव नकोट भी सुमार है पलायन की ये दुर्दशा पौड़ी जनपद की ही नही बल्कि उत्तराखण्ड के सम्पूर्ण पहाड़ी जनपदों की है खण्डर होते घर और बंजर होते खेतो की चिंता अब शायद सरकार के कानो में भी गूंजने लगी है यही वजह है की ''रैबार'' नाम की एक मुहीम उत्तराखण्ड सरकार ने अपना गांव छोड़ चुके प्रवासियो को बुलाने के लिए शुरू की है जबकि पलायन की ये चिंता उत्तराखण्ड से राज्य सभा भेजे गए राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी को भी सता रही है यही कारण है की अनिल बलूनी उत्तराखण्ड का लोक पर्व इगास जो की दिपावली के 11 दिन बाद मनाया जाता है को अपने गांव में बनाने का निर्णय कुछ समय पहले ले चुके थे लेकिन अब स्वास्थ बिगड़ने के चलते इस लोक पर्व को अनिल बलूनी की बजाय बीजेपी के राष्टीय प्रवक्ता सम्बित पात्रा और अन्य बीजेपी प्रतिनिद्धि अनिल बलूनी के गांव नकोट पहुंचकर मनाएंगे और युवाओ से गांव आने की अपील करेंगे राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी का गांव भी मूलभूत सुविधाओ के अभाव में ही खाली हो चूके पौड़ी के  300 से अधिक गांव की तरह है जो धीमे धीमे वरीन होने की राह में खड़ा है अनिल बलूनी का गांव नकोट जहां पूर्व में 85 से 90 परिवारों की आमद से गुलज़ार रहा करता था तो वहीं अब युवाओं के लिये रोजगार की कमी शिक्षा स्वास्थ और सडक जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण यहाँ सिर्फ 15 परिवार ही निवास करते है युवा रोजगार की तलाश में गांव से निकले पर गांव की राह न देखी  गांव को जाने वाली कच्ची और उबडखाबड सडक भी पूरे गांव से होकर नहीं गुजरती कुछ यहीं कारण है कि सालों बीत जाने के बाद अनिल बलूनी भी अपने गांव में नहंीं पहुंचे गांव के अधिकतर घरों में ताले लटके पडे हैं वहीं पानी की भारी कमी से खेती भी बंजर हो चली है गॉव के नौनिहालो को शिक्षा लेने के लिए भी जहाँ मीलो का सफर तय करना पड़ रहा है वहीँ रोजगार की तलाश में शहर गए युवा शहर के ही होकर रह गए हैं ऐसे में इस गांव में बचे हैं तो सिर्फ बेसाहरा बुजुर्ग ग्रामीणों की माने तो सरकार को इन मुहीम के साथ ही गांव छोड चुके युवाओ को वापस लाने के लिए पहाड़ो में रोजगार के सन्साधन और मूलभूत सुविधाओ को जुटाना के प्रयास सरकार को जल्द और अधिक तेज़ी से करने होंगे तभी गॉव की रौनक वापस लौटेगी।