जानिए आखिर क्या है पंचायत चुनाव लड़ने की शर्त

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार वही लोग किस्मत आजमा सकते हैं जिनके सिर्फ दो बच्चे हैं।परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दो से अधिक संतान वाले उम्मीदवार को पंचायत चुनाव के लिए अपात्र करने, त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रमुखों के पदों पर आरक्षण की व्यवस्था करने, एक साथ दो पद धारण करने को अपात्र करने, शैक्षिक योग्यता निर्धारित करने के साथ ही 2016 के मूल अधिनियम की त्रुटियों को दूर करने के मद्देनजर सरकार ने संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया। जिस पर आज सदन की मुहर लग गई।
उत्तराखंड में हरिद्वार जिले को छोड़कर सभी जिलों के पंचायतों का कार्यकाल जुलाई में खत्म होने जा रहा है। ऐसे में अगस्त-सितम्बर में पंचायत चुनाव प्रस्तावित है। पंचायतीराज (संशोधन) अधिनियम 2019 पर राज्यपाल की मुहर के बाद आगामी चुनाव में यह बदलाव लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। जिस दिन एक्ट लागू होगा उस दिन से 2 से ज्यादे बच्चे वाले लोग पंचायत चुनाव नही लड़ सकेंगे। विधेयक में कहा गया है कि दो बच्चों से अधिक वाले ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। वहीं चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी की शैक्षणिक योग्यता भी निर्धारित की गई है। जिसमे सामान्य वर्ग के लोगों के लिए 10वीं अनिवार्य किया गया है। एससी/एसटी के लिए 8वीं अनिवार्य किया गया है। उत्तराखण्ड में करीब 50 हजार पंचायत प्रतिनिधि चुनाव से चुने जाते हैं। राज्य का अपना पंचायतीराज एक्ट 2016 में अस्तित्व में आया था. इसके बाद वर्तमान में राज्य सरकार ने इसमें संशोधन करने का निर्णय लिया। सरकार ने एक्ट में नगर निकायों की तरह ही पंचायतों में चुनाव लड़ने के लिए दो बच्चों की शर्त और न्यूनतम शैक्षिणक योग्यता के बदलाव पर जोर दिया। बता दें कि उत्तराखंड में अकेले हरिद्वार को छोड़कर पंचायतों का कार्यकाल जुलाई में खत्म होने जा रहा है। इसके चलते चुनाव अब सितंबर में हो सकते हैं। अगर इस संशोधन विधेयक के कानून बनने के बाद उसी के आधार पर चुनाव होते हैं तो कई लोग यह चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।उत्तराखंड में पंचायती राज संशोधन विधेयक के मुताबिक जिन लोगों की दो से अधिक संतान हैं और इनमें एक का जन्म इस प्रावधान के प्रवृत्त होने की तिथि से 300 दिन के पश्चात हुआ है, वह भी चुनाव लड़ नहीं सकते। विधेयक के मुताबिक पंचायत का कोई भी प्रतिनिधि एक साथ दो पद धारण नहीं कर सकेगा। यदि किसी सदस्य का नाम उससे संबंधित क्षेत्र की निर्वाचक नामावली से निकाल दिया गया हो तो संबंधित व्यक्ति पंचायत का प्रमुख अथवा सदस्य नहीं रह पाएगा। यदि किसी ने सरकारी धन का गबन किया हो, उसे विरुद्ध सरकारी धन की वसूली चल रही हो या उस पर शासकीय धन बकाया हो, वह चुनाव लडऩे के लिए अपात्र होगा। कांग्रेस ने कुछ प्रावधानों पर छूट देने की मांग करने के साथ विधेयक का स्वागत किया।पंचायत प्रमुख पदों पर आरक्षणग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर आरक्षण का प्रावधान होगा। इन पदों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के लिए भी आरक्षित किया जा सकेगा।नए संशोधित विधेयक के आधार पर आने वाले पंचायत चुनाव हो सकते है।